भारत का देशी एप कहलाने वाला Koo India इन दिनों खबर की सुर्खियों में है. एक तरफ जहां कू एप की आलोचना की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ इसकी प्रशंसा भी हो रही है. बहुत से विशेषज्ञों का मानना है कि कू एप आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देगा. इसके साथ ही पीएम मोदी सरकार ट्वीटर के विकल्प में देसी एप कू पर जनता के साथ संचार कर इसे बड़ा प्लेटफॉर्म बना सकती हैं. इससे इस आत्मनिर्भर भारत एप को प्रोत्साहन मिल सकता है. पिछले साल मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कू एप पर अपनी बात रखते हुए कहा था, 'एक माइक्रोब्लॉगिंग प्लैटफॉर्म का ऐप है, इसका नाम है कू, इसमें हम अपनी मातृमाषा में टेक्स्ट वीडियो और ऑडियो के ज़रिए अपनी बात रख सकते हैं, इंटरैक्ट कर सकते हैं.'
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वहीं साल 2020 में सरकार द्वारा आयोजित आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज में कू एप को चिंगारी और जोहो जैसे एप्स के साथ विजेता घोषित किया गया था. चिंगारी और जोहो टिकटॉक जैसे वीडियो एप हैं, टिकटॉक पर बैन के बाद ये काफी चर्चा में आए थे.
भारत के बहुभाषी माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू की हाल में डेटा प्राइवेसी को लेकर आलोचना की गई थी और साथ में यह भी बात सामने आई थी कि इनके निर्माताओं में चीनी निवेशक भी शामिल हैं. ऐसे में लोगों के सामने इसे बेहतर तरीके से पेश करने का इनका प्रयास जारी है.
कू के सह-संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा कि एक फाउंडर के तौर पर मैं एक भारतीय हूं, मेरे को-फाउंडर भी भारतीय हैं और हम जिस चीज का विकास कर रहे हैं, उससे हम गहराई से जुड़े हुए हैं और इसी के चलते हमारा मार्केट भी वजूद में है. हमारी कंपनी दस महीने पुरानी है, ऐसे में कुछ शुरुआती परेशानियां तो आएंगी ही. देश भर के सभी यूजर्स से हमें जिस कदर प्यार मिला है, उससे हम हैरान हैं और हम चाहते हैं कि हमारे इस शुरुआती सफर में वे हमारे साथ रहें.
चीनी निवेशकों के शामिल होने की बात पर कू की टीम ने कहा, "यह बात सही नहीं है. कू पूरी तरह से बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड के अधीन है और यह सिर्फ भारत में ही संचालित है. सभी डेटा और संबंधित सर्वर भी भारत से ही चलाए जाते हैं. बेंगलुरू में कंपनी का मुख्यालय है.
बता दें कि भारत सरकार और टि्वटर के बीच पिछले कई दिनों से टकराव चल रहा है. हाल ही में ट्विटर इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर (इंडिया एवं साउथ एशिया) महिमा कौल ने अपना पद भी छोड़ दिया है. कौल के इस्तीफे को सरकार के साथ टकराव का नतीजा बताया जा रहा है.
Koo एप हिंदी, तेलुगू, कन्नड़, बंगाली, तमिल, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी, उड़िया और असमी भाषा को सपोर्ट करता है. Twitter की तरह Koo पर भी यूजर फोटो, ऑडियो, वीडियो और लिखित कंटेंट शेयर कर सकते हैं. Koo पर शब्दों की सीमा 350 है और इसका इंटरफेस Twitter जैसा ही है.
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Koo एप Twitter से काफी मिलता-जुलता है. Twitter पर जुड़ने के लिए जहां आपको ईमेल आईडी देनी होती है, वहीं Koo ज्वाइन करने के लिए आपको केवल वैलिड मोबाइल नंबर की जरूरत होती है. Koo पर पहली बार रजिस्टर करने के दौरान आपका फ़ोन नंबर एक ओटीपी के माध्यम से वेरीफाई किया जाता है. Koo एप iOS और एंड्रॉइड दोनों जगह उपलब्ध है और वेब ब्राउज़र से भी इसे एक्सेस किया जा सकता है. Koo एप को गूगल प्ले स्टोर और एप्पल एप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है.
Koo एप को गूगल प्ले स्टोर पर एवरेज रेटिंग 4।7 स्टार दी गई है, वहीं iOS एप पर इसकी रेटिंग 4।1 की है. अब तक Koo एप को लगभग 2।5 मिलियन डाउनलोड कर चुके हैं और करीब एक मिलियन एक्टिव यूजर्स भी हैं. मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि अब तक माइक्रो ब्लॉगिंग स्टार्टअप Koo ने 41 लाख डॉलर (29।84 करोड़ रुपये) का फंड जुटा लिया है. Koo इस धन का इस्तेमाल अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए करेगा. Koo एप को इंफोसिस के मोहनदास पाई की 3one4 कैपिटल की ओर से भारी फंडिंग हुई है. पाई के अलावा Koo को एक्सेल पार्ट्नर्ज, कालारी कैपिटल, ब्लूम वेंचर्ज और ड्रीम इंक्युबेटर से भी फंड मिला है. Koo के सह-संस्थापक और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण हैं.
Source : News Nation Bureau