Aditya-L1 Mission : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 2 सितंबर को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से सूर्य मिशन के तहत आदित्य-एल1 (Aditya-L1 Mission) को लॉन्च कर दिया है. इस मिशन को पीएसएलवी-एक्सएल से छोड़ा गया है. चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan 3 Mission ) की सफलता से पहले ही इसरो का मनोबल बढ़ा हुआ है और अब सूर्य के रहस्यों का पता लगाने के लिए आदित्य-एल1 को रवाना कर दिया है, जोकि पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया है. यान के थ्रस्टर में एक्सटर्नल फोर्स लगाकर आज उसकी कक्षा बदली गई है, जबकि कुल 5 बार कक्षा बदली जाएगी. आइये जानते हैं कि इसका मिशन से मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
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भारत का पहला सौर मिशन आदित्य-एल1 अपनी मंजिल लैग्रेंज बिंदु 1 (L1) तक पहुंचने में 125 दिन लगेगा, जिसकी दूरी धरती से करीब 150 लाख किलोमीटर है. ये प्वाइंट पृथ्वी एवं सूर्य के बीच स्थित है. सूर्य को L1 प्वाइंट से सीधे देखा जा सकता है. यहां किसी भी यान पर सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वकर्षण बल बराबर रहता है, जिससे यहां आदित्य-एल1 स्थिर रहेगा और ईंधन की भी बचत होगी.
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जानें आदित्य-एल1 क्या लगाएगा पता?
इसरो से मिली जानकारी के अनुसार, आदित्य-एल1 सूर्य के क्रोमोस्फीयर और कोरोना की गतिशीलता, सूर्य और कोरोना के तापमान, अंतरिक्ष मौसम, कोरोनल मास इजेक्शन सहित कई अहम खोज करेगा. सूर्य की ऊपरी परत को कोरोना कहते है, जोकि धरती से सिर्फ पूर्व सूर्यग्रहण के दौरान ही दिखाई देता है. सूर्य के रहस्यों से पर्दा उठने के बाद आसमान से आने वाली कोई आफत से समय रहते हुए इंसान को बचाया जा सकेगा.
Source : News Nation Bureau