अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) अगले कुछ सालों में कई अंतरिक्ष अभियान शुरू करने जा रही है. ये सभी पृथ्वी से परे सुदूर अंतरिक्ष के अनजान पहलुओं को हमारे सामने लाने का काम करेंगे. हालांकि फिलहाल चर्चा में है आर्टेमिस-1 (Artemis-1) मानव चंद्र मिशन. इसके पहले नासा ने 1969 में अपोलो 11 नाम से चंद्रमा पर मानव मिशन भेजा था. नासा का आर्टेमिस-1 मिशन कई मामलों में अनूठा होगा. इसके जरिये पहली बार चंद्रमा पर एक महिला (Woman Astronaut) कदम रखेगी, तो एक अंतरिक्षयात्री अश्वेत भी रहेगा. नासा का कहना है कि नई इनोवेटिव टेक्नोलॉजी के जरिये आर्टिमेस-1 मिशन को चंद्रमा पर भेजा जाएगा. इन तकनीकों के जरिये चंद्रमा की सतह से कहीं वैज्ञानिक तरीके से नमूनों को एकत्र किया जा सकेगा. साथ ही आर्टेमिस-1 मिशन का उद्देश्य चंद्रमा (Moon Mission) पर मानव की उपस्थिति लंबे समय तक दर्ज कराना भी है. इसके जरिये नासा और अन्य स्पेस रिसर्चर चंद्रमा का पहले से कहीं गहनता से अध्ययन कर मंगल पर मानव मिशन के लिए पर्याप्त डाटा एकत्र करेगा.
ग्रीक पौराणिक कथाओं पर नाम
नासा के आर्टेमिस-1 मिशन को चंद्रमा से जुड़े रहस्यों के क्रम में नेक्स्ट जेनरेशन मिशन का दर्जा दिया जा रहा है. इस मिशन का नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं में अपोलो की जुड़वां बहन के नाम पर रखा गया है. आर्टेमिस चंद्रमा की देवी भी हैं. आर्टेमिस-1 मिशन के बाद नासा 2024 के आसपास आर्टेमिस-2 और आर्टेमिस-3 मिशन भी चंद्रमा पर भेजेगा.
यह भी पढ़ेंः NEOM सऊदी अरब की जीरो कार्बन सिटी में रह सकेंगे एक साथ 90 लाख लोग
अन्य देशों का भी सहयोग
नासा आर्टेमिस-1 के जरिए मंगल पर मानव मिशन से पहले की तैयारी करने की भी सोच रहा है. इस मिशन में रोबोट और अंतरिक्ष यात्रियों की मदद से चंद्रमा की सतह पर एक आर्टेमिस बेस कैंप और चंद्रमा की कक्षा में एक गेटवे भी स्थापित करेगा. यह गेटवे नासा के स्थायी चंद्र संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए बहुउद्देश्यीय स्टेशन के रूप में कार्य करेगा. आर्टेमिस-1 मिशन में अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां भी मदद कर रही हैं. मसलन कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी गेटवे के लिए उन्नत रोबोटिक्स दे रही है. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ESPRIT मॉड्यूल दे रही जिसकी मदद से संचार क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि होगी. जापान की एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी चांद पर रहने में मदद करने वाले उपकरण और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भोजन के रूप में मदद कर रही है.
चांद पर इस दिन जाएगा आर्टेमिस-1
रोवर और खास उपकरण की मदद से चंद्रमा की सतह से अब तक कई देश नमूने जुटा चुके हैं. वहां मौजूद उपकरण और रोवर चंद्रमा की सतह और वातावरण में होने वाले छोटे से छोटे बदलाव और गतिविधियों की जानकारी रोजमर्रा के आधार पर भेज रहे हैं. ऐसे में नासा आर्टेमिस-1 मिशन को और गहन वैज्ञानिक खोजों, आर्थिक लाभ और नई पीढ़ी को प्रोत्साहन देने के लिए लांच कर रहा है. आर्टेमिस-1 से कई और देशों को जोड़ा गया है. उनके अनुभव से अंतरिक्ष खासकर चंद्रमा के कुछ और नए पहलुओं को सामने लाने का लक्ष्य है. नासा के मुताबिक इस अभियान के तहत जाने वाले अंतरिक्षयात्री आर्टेमिस बेस कैंप का निर्माण भी करेंगे. इस साल 29 अगस्त को आर्टेमिस-1 चांद के लिए रवाना होगा और सितंबर के पहले हफ्ते में चंद्रमा के पूर्वी ध्रुव पर लैंड कर जाएगा.
यह भी पढ़ेंः सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की पहली यूरोप यात्रा, क्या है वजह
मंगल के लिए चंद्रमा को बनाना है लांच पैड
नासा चांद को मंगल पर जाने के लिए एक लांच पैड की तरह इस्तेमाल करना चाहता है. दूसरे हाल के सालों में चांद पर जाने की होड़ नए सिरे से शुरू हो चुकी है. जो भी देश चांद पर सबसे पहले कब्जा करेगा, उसका अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दबदबा बढ़ेगा. चंद्रमा की दुर्लभ खनिज संपदा, खासकर हीलियम-3 ने भी इसके प्रति सभी का आकर्षण का केंद्र बना दिया है. अमेरिका के अलावा रूस, जापान, दक्षिण कोरिया और भारत भी 2022-23 में अपने चंद्र अन्वेषण यान चांद की ओर भेजने वाले हैं. कई निजी कंपनियां भी चांद पर सामान व उपकरण पहुंचाने और प्रयोगों को गति देने के उद्देश्य से सरकारी स्पेस एजेंसियों का ठेका हासिल करने की कतार में खड़ी हैं.
HIGHLIGHTS
- आर्टिमेस-1 के जरिए चंद्रमा की धरती पर पहली बार कदम रखेगी एक महिला
- नासा आर्टेमिस-1 के जरिए मंगल पर मानव अभियानों के लिए जुटाएगा डाटा
- 29 अगस्त को तमाम उपकरणों संग आर्टिमेस-1 चांद के लिए भरेगा उड़ान