Astronauts का दिमाग बदल देते हैं Space Missions

शोध के दौरान हमें दिमाग के कई मोटर एरिया में न्यूरल कनेक्शन बदलाव दिखे. मोटर एरिया एक ऐसा ब्रेन सेंटर है, जहां मूवमेंट यानी चलने-फिरने आदि के लिए कमांड दिया जाता है.

author-image
Nihar Saxena
New Update
Space Mission

यूरोप और रूस की अंतरिक्ष एजेंसी ने इस संबंध में मिलकर शोध किया है.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

एक नए शोध से यह खुलासा हुआ है कि अंतरिक्ष यात्रा से अंतरिक्ष यात्रियों के दिमाग का ढांचा या आकार बदल जाता है और वहां से लौटने के कई माह बाद तक ये बदलाव दिखता रहता है. एक इंसान का दिमाग उम्र के साथ-साथ बदलता रहता है, लेकिन जब बात अंतरिक्ष यात्रा की होती है, तो यह इंसान के दिमाग में पाये जाने वाले फ्लूयड को भी शिफ्ट कर देता है और साथ ही अंतरिक्ष यात्री के दिमाग के आकार में भी तब्दीली लाता है. यह बदलाव अंतरिक्ष यात्रा से वापस आने के कुछ माह तक बना रह सकता है.

यूरोप और रूस की अंतरिक्ष एजेंसी ने इस संबंध में मिलकर शोध किया है. यह शोध रिपोर्ट फंट्रियर्स इन न्यूरल सर्किट्स में प्रकाशित हुई है. शोध रिपोर्ट के अनुसार अंतरिक्ष यात्रियों के कई व्हाइट मैटर ट्रैक्ट जैसे सेंसरीमोटर ट्रैक्ट में हल्के ढांचागत बदलाव देखे गए हैं. व्हाइट मैटर दिमाग का संपर्क चैनल होता है और ग्रे मैटर में प्राप्त सूचना को प्रोसेस किया जाता है. शोधकर्ताओं ने 'लर्नेड ब्रेन' की अवधारणा की पुष्टि की है. यानी उनके मुताबिक अंतरिक्ष यात्रा के लिए खुद को अनुकूल बनाने के लिए न्यूरोप्लास्टिसिटी स्तर में बदलाव आता है. न्यूरोप्लास्टिसिटी दिमाग की ऐसी क्षमता है, जो नर्व सेल यानी न्यूरॉन को पर्यावरण या परिस्थिति में आए परिवर्तन के अनुकूल बदलाव लाने की अनुमति देता है.

अमेरिका की ड्रेक्सल यूनिवर्सिटी के आंद्रेई डोरोशिन ने कहा कि शोध के दौरान हमें दिमाग के कई मोटर एरिया में न्यूरल कनेक्शन बदलाव दिखे. मोटर एरिया एक ऐसा ब्रेन सेंटर है, जहां मूवमेंट यानी चलने-फिरने आदि के लिए कमांड दिया जाता है. गुरुत्वाकर्षण के बिना अंतरिक्ष में रहने के कारण अंतरिक्ष यात्री को अपनी चाल-ढाल में काफी भारी बदलाव लाना पड़ता है. इसी कारण उनका पूरा दिमाग ही एक तरह से अलग हो जाता है. शोधकर्ताओं ने अंतरिक्ष यात्रा के प्रभाव को जानने के लिए ब्रेन इमेंजिंग तकनीक फाइबर ट्रैक्टोग्राफी का इस्तेमाल किया. उन्होंने रूस के 12 अंतरिक्षयात्रियों के अंतरिक्ष यात्रा से पहले और वहां से तत्काल लौटने के बाद के डिफ्यूजन एमआरई स्कैन का अध्ययन किया.

उन्होंने अंतरिक्ष यात्रा से लौटने के सात माह बाद आठ फॉलोअप स्कैन का भी अध्ययन किया.ये सभी अंतरिक्ष यात्री औसतन 172 दिन के अंतरिक्ष अभियान पर गए थे. फॉलो अपस्कैन के अध्ययन से यह खुलासा हुआ कि सात माह बाद भी दिमाग में आया बदलाव दिख रहा है.

HIGHLIGHTS

  • दिमाग के ग्रे मैटर में प्राप्त सूचना को प्रोसेस किया जाता
  • रूस के 12 अंतरिक्षयात्रियों के डिफ्यूजन एमआरई स्कैन
Mental Health brain Astronauts अंतरिक्षयात्री Change बदलाव Space Missions मानव अंतरिक्ष यात्रा स्पेस मिशन दिमाग
Advertisment
Advertisment
Advertisment