चीन-पाकिस्‍तान पर कहर बरपाएगी सुखोई और ब्रह्मोस की जोड़ी, एक और परीक्षण सफल

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation, DRDO) ने सोमवार को ओडिशा तट से जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BRAHMOS supersonic cruise missile) का सफल परीक्षण किया

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Drigraj Madheshia
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चीन-पाकिस्‍तान पर कहर बरपाएगी सुखोई और ब्रह्मोस की जोड़ी, एक और परीक्षण सफल
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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation, DRDO) ने सोमवार को ओडिशा तट से जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BRAHMOS supersonic cruise missile) का सफल परीक्षण किया. यह 8.4 मीटर लंबी और 0.6 मीटर चौड़ी यह मिसाइल (BRAHMOS supersonic cruise missile) 300 किलोग्राम वजन तक विस्फोटक ले जाने में सक्षम है. मिसाइल (BRAHMOS supersonic cruise missile) का वजन तीन हजार किलोग्राम है और 350 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है. बता दें इसकी जद में पूरा पाकिस्‍तान है. भारत के पास अब ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल है जो जमीन, समुद्र या हवा कहीं से भी दागी जा सकती है. यह पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को भी अपना निशाना बना सकती है. ब्रह्मोस मिसाइल भारत के सुखोई-30 लड़ाकू विमान पर तैनात सबसे भारी हथियार है. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों को 40 सुखोई लड़ाकू विमानों में जोड़ने का काम जारी है

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BRAHMOS supersonic cruise missile) आवाज की गति से भी 2.8 गुना तेज गति से मार करती है. इस मिसाइल (BRAHMOS supersonic cruise missile) को किसी भी दिशा में लक्ष्य करके छोड़ा जा सकता है. यह घनी शहरी आबादी में भी छोटे लक्ष्यों को सटीकता से भेदने में सक्षम है. दो चरणीय मिसाइल (BRAHMOS supersonic cruise missile) में ठोस प्रोपेलेट बुस्टर और एक तरल प्रोपेलेट रैम जैम सिस्टम लगा है. ब्रह्मोस का पहला परीक्षण 12 जून 2001 को चांदीपुर से किया गया था. इसकी सटीकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह जमीनी लक्ष्य को 10 मीटर की ऊंचाई तक से भेद सकती है. यह मिसाइल (BRAHMOS supersonic cruise missile) पहले ही सेना में शामिल कर ली गई है.

चीन सीमा पर ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती

  • बीते साल 22 नवंबर को भारत ने वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण कर रिकॉर्ड कायम किया था.
  • ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो 290 किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकता है. सूखाई-30 फुल टैंक ईंधन के साथ 2500 किलोमीटर तक मार कर सकता है. वजन के साथ सुखोई-30 की क्षमता घटकर 1800 किलोमीटर रह जाती है, यानी सुखोई और ब्रह्मोस की जोड़ी 2100 किलोमीटर तक टारगेट हिट कर सकती है.
  • ब्रह्मोस मिसाइल भारत के सुखोई-30 लड़ाकू विमान पर तैनात सबसे भारी हथियार है. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों को 40 सुखोई लड़ाकू विमानों में जोड़ने का काम जारी है
  • सुखोई और ब्रह्मोस की जोड़ी भविष्य में दुश्मनों के लिए और भी घातक साबित होने वाली है क्योंकि डीआरडीओ के साइंटिस्ट ब्रहोस की क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहे हैं. जल्द ही वो दिन आएगा जब 290 किलोमीटर तक मार करने वाले ब्रहोस की क्षमता 600 किलोमीटर तक मार करने की हो जाएगी
  • ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है, ये कम ऊंचाई पर उड़ान भरती है इसलिए रडार की पकड़ में नहीं आती.
  •  भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर ब्रह्मोस का नाम रखा गया है क्योंकि इसे डीआरड़ीओ ने भारत-रूस के ज्वाइंट वेंचर के तौर पर डेवलप किया.ब्रह्मोस 3700 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से 290 किलोमीटर तक के ठिकानों पर अटैक कर सकती है.ब्रह्मोस से 300 किलो वजन तक के न्यूक्लियर वारफेयर दुश्मनों के ठिकाने पर गिराए जा सकते हैं.2007 में ब्रह्मोस को सैन्य बेड़े में शामिल किया गया आर्मी के पास फिलहाल इसकी तीन रेजिमेंट हैं. नेवी के 25 शिप पर ब्रह्मोस की तैनाती कर हो चुकी है.
  • अप्रैल 2017 में पहली बार नेवी ने ब्रह्मोस को वॉरशिप से जमीन पर दागा था, ये टेस्ट कामयाब रहा, नेवी को इसका वॉरशिप वर्जन मिल चुकी है. भारत ने ब्रह्मोस को अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगी सीमा पर तैनात किया था तब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने एतराज जताया था

 

Source : न्‍यूज स्‍टेट ब्‍यूरो

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