धरती के बाद भी जीवन की तलाश की खोज में हम या फिर हमारे वैज्ञानिक और खगोलविद काफी समय से रहे हैं. हमारे वैज्ञानिक सीमित संसाधनों में ही इस बड़े लक्ष्य की खोज में लगे हुए हैं. हम आज भी एक पुराने उपकरण हबल ऑप्टिकल टेलीस्कोप इसकी मदद से हम अंतरिक्ष में स्थिति जैसे सीमित उपकरणों की मदद से ग्रहों में जीवन की खोज में जुटे हुए हैं. नासा ने इस साल जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) नामका नया उपकरण लॉन्च करने की तैयारी में है. इस उपकरण के आविष्कार के बाद इस खोज में थोड़ी ज्यादा रफ्तार मिलने की उम्मीदें बढ़ीं हैं. इसके ईजाद होने के बाद से यह भी संभव लगने लगा है कि आने वाले 5-10 सालों में हम एलियंस के संपर्क में आ जाएंगे.
ये नासा का खास टेलीस्कोप है
जेम्स टेलीस्कोप यानि की जेडब्ल्यूएसटी नासा का खास टेलिस्कोप है. नासा के इस टेलिस्कोप का आविष्कार इस साल अक्टूबर में होने की उम्मीद है. यह टेलिस्कोप अंतरिक्ष में अब तक का सबसे शक्तिशाली टेलीस्कोप होगा. आपको बता दें कि ये एक इंफ्रारेड डिवाइस वाला टेलीस्कोप होगा जो केवल कुछ चक्करों में छह गैसीय बौने ग्रहों में अमोनिया की उपस्थिति का पता लगा सकेगा. इसके मुताबिक यह टेलिस्कोप मात्र 60 घंटों में ही इस बात को साबित कर देगा कि दूसरे ग्रहों में जीवन की उत्पत्ति के पक्के सबूत उपलब्ध करवा देगा.
बौने ग्रहों की विशेषता
आपको बता दें कि ऐसा माना जाता है कि गैसीय बौने ग्रहों में जीवन की उत्पत्ति की बहुत ज्यादा ही संभावनाएं होती हैं. गैसीय बौने ग्रह हमारे सौरमंडल में नहीं होते हैं. ये सौरमंडल से कहीं दूर तारों का की परिधि करने वाले बाह्य ग्रह होते हैं इन्हें सुपर अर्थ या फिर मिनी नेप्च्यून के नाम से भी जाना जाता है. पहले तो वैज्ञानिक इन्हें आसानी से ढूंढ तो लेते थे, लेकिन यह पता नहीं चलता था कि वहां के वायुमंडल में अमोनिया और उसके जैसे जीवन के अन्य संकेत मौजूद हैं या नहीं. ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी की ग्रेजूएट स्टूडेंट कैप्राइस फिलिप ने इसका अध्ययन किया है और इसी महीने वो एपीएस मीटिंग की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसके बारे में बातचीत करेंगे, उन्होंने बताया कि अगले 5-10 सालों में दूसरे ग्रहों पर जीवन के संकेत खोज सकते हैं.
HIGHLIGHTS
- एलियंस के संपर्क में आ सकते हैं हम
- अगले 5 से 10 वर्षों में हो सकता है ये काम
- गैसीय बौने ग्रहों में जीवन की उत्पत्ति की अपार संभावनाएं