Chandrayaan 2: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (National Aeronautics and Space Administration) ने चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) मिशन के विक्रम लैंडर को खोज निकाला है. नासा (NASA) ने तस्वीर जारी करके इस बारे में जानकारी दी. नासा के लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) ने चांद की सतह पर विक्रम लैंडर के मलबे को तलाश लिया है. बता दें कि नासा ने विक्रम लैंडर के मलबे को तलाश करने के लिए चेन्नई के एक मैकेनिकल इंजीनियर शनमुगा सुब्रमण्यन (Shanmuga Subramanian) का इसका क्रेडिट दिया है. गौरतलब है कि मुख्य दुर्घटनास्थल से लगभग 750 मीटर उत्तर पश्चिम में पहला टुकड़ा मिला. आपको बता दें कि सितंबर में चंद्रयान-2 मिशन में लैंडिंग के दौरान विक्रम लैंडर से भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो का संपर्क टूट गया था.
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मलबे की खोज करने वाले शनमुगा सुब्रमण्यन पहले व्यक्ति
एक बयान में, नासा ने कहा कि उसने 26 सितंबर को साइट की एक मोज़ेक छवि जारी की थी. जनता को लैंडर के संकेतों की खोज करने के लिए आमंत्रित किया था. नासा ने अपने बयान में कहा है कि चेन्नई के 33 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर शनमुगा सुब्रमण्यन पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने इस मलबे की खोज की है. नासा के मुताबिक शनमुगा सुब्रमण्यन ने नासा के LRO प्रोजेक्ट से संपर्क किया था. बता दें कि शनमुगा सुब्रमण्यन ने ही क्रैश साइट के उत्तर पश्चिम में करीब 750 मीटर दूर मलबे की पहचान की थी.
@NASA has credited me for finding Vikram Lander on Moon's surface#VikramLander #Chandrayaan2@timesofindia @TimesNow @NDTV pic.twitter.com/2LLWq5UFq9
— Shan (@Ramanean) December 2, 2019
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शनमुगा सुब्रमण्यन उर्फ शान का कहना है कि नासा ने 14-15 अक्टूबर और 11 नवंबर को 2 तस्वीरें जारी की थीं. उन्होंने कहा कि अपने लैपटॉप पर पुरानी और नई तस्वीरों की तुलना की थी. उनका कहना है कि उन्हें ट्विटर और रेडिट यूजर्स से काफी मदद मिली थी. उन्होंने कहा कि काफी कोशिश के बाद उन्होंने 3 अक्टूबर ट्विटर पर इसकी घोषणा की थी. हालांकि जानकारी को साझा करने से पहले नासा 100 फीसदी आश्वस्त होना चाह रहा था. नासा ने खुद भी इसके सभी पहलुओं की जांच की थी. सभी पहलुओं की जांच करने के बाद ही नासा ने 3 दिसंबर को ट्वीट के जरिए मलबा मिलने की जानकारी दी थी.
The #Chandrayaan2 Vikram lander has been found by our @NASAMoon mission, the Lunar Reconnaissance Orbiter. See the first mosaic of the impact site https://t.co/GA3JspCNuh pic.twitter.com/jaW5a63sAf
— NASA (@NASA) December 2, 2019
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बता दें कि सितंबर में चंद्रयान-2 मिशन में लैंडिंग के दौरान विक्रम लैंडर से भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो का संपर्क टूट गया था. जिसके बाद विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग हो गई थी. हालांकि उसी समय इसरो ने विक्रम लैंडर ढूंढ निकाला था लेकिन उससे दोबारा संपर्क नहीं कर पाया. अगर यह मिशन कामयाब हो जाता तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश होता जो चांद पर पहुंच जाता.