मिशन मून के लिए रवाना हुआ चंद्रयान 2 मंगलवार को सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में घुस गया. इसी के साथ चंद्रयान 2 ने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है. इस उपलब्धि के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन के. सिवन ने सोमवार को बताया कि अभियान के अंतिम 30 मिनट बहुत मुश्किल भरे थे. घड़ी की सुई के आगे बढ़ने के साथ-साथ तनाव और चिंता बढ़ती गई. चंद्रयान-2 के चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करते ही अपार खुशी और राहत मिली.'
चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद भारत के नाम दर्ज होगाय नया रिकॉर्ड
चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के बाद 7 अगस्त को चंद्रयान 2 चांद की सतह पर उतरेगा. ऐसें में अगर चंद्रयान 2 की सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया सफल होती है तो भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन के लैंडर भी चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करवा चुके हैं.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि मंगलवार सुबह 8:30 से 9:30 बजे के बीच चंद्रयान-2 के तरल रॉकेट इंजन को दागकर उसे चांद की कक्षा में पहुंचाने का अभियान पूरा कर लिया गया है. चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद चंद्रयान-2 इसरो कक्षा के अंदर स्पेसक्रॉफ्ट की दिशा में चार बार (21, 28 और 30 अगस्त को तथा 1 सितंबर को) और परिवर्तन करेगा. इसके बाद यह चंद्रमा के ध्रुव के ऊपर से गुजरकर उसके सबसे करीब - 100 किलोमीटर की दूरी के अपने अंतिम कक्षा में पहुंचेगा.
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यह अभियान इसके सबसे चुनौतीपूर्ण अभियानों में से एक था, क्योंकि अगर उपग्रह चंद्रमा (Moon) से उच्च गति वाले वेग से पहुंचता, तो वहां की सतह इसे उछाल देता, जिससे ये उपग्रह गहरे अंतरिक्ष में चला जाता. लेकिन अगर ये धीमे स्पीड से आता, तो चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण चंद्रयान 2 को खींच लेता और ये उसके सतह पर गिर सकता था.
इसरो के अध्यक्ष डॉ के सिवन ने बताया, 'आप कल्पना कर सकते हैं कि एक छोटी सी गलती भी चंद्रयान 2 की चांद के साथ मुलाकात को नाकाम कर सकती है." भारत के पहले चंद्रमा मिशन चंद्रयान 1 के प्रमुख और इसरो के उपग्रह केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ एम अन्नादुरई ने इस मिशन की जटिलता के बारे में कहा, "ये मिशन उस सज्जन की तरह है, जो हाथ में गुलाब लिए एक महिला को प्रपोज कर रहा है. जो 3,600 किलोमीटर प्रति घंटे की आश्चर्यजनक स्पीड से डांस कर रही है, और वो आपके सामने नहीं है, बल्कि आपसे 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी पर है. ऐसे में अगर मुलाकात करनी है तो आपकी सटीकता का बहुत महत्वपूर्ण है.'
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चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को धरती पर से अंतरिक्ष में रवाना किया गया था. इसका प्रक्षेपन देश के भारी वजन उठानेवाले रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच वेहिकल - मार्क 3 (जीएसएलवी एमके 3) से किया गया था.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो