चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के ऑर्बिटर (Orbiter) ने चांद की बेहद खूबसूरत तस्वीरें भेजी हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 के टेरेन मैपिंग कैमरे द्वारा खींची गई क्रेटर के 3डी व्यू की तस्वीरें रिलीज की हैं. बताजा जा रहा है कि सभी तस्वीरें 100 किलोमीटर ऑर्बिट से ली गई हैं. तस्वीर में साफतौर पर देखा जा सकता है कि चांद पर काफी बड़ा गड्ढा है और यह गड्ढा लावा ट्यूब जैसा दिखाई पड़ रहा है. वैज्ञानिकों के मुताबिक लावा ट्यूब से जीवन की संभावनाओं की जानकारी का पता चलता है. इसके अलावा भविष्य में शोध के लिए भी यह काफी मददगार साबित होगा.
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ठीक तरीके से काम कर रहा है ऑर्बिटर
जानकारों का कहना है कि चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया था, उसके बावजूद उसका ऑर्बिटर चांद की बेहतरीन तस्वीरें भेज रहा है. बता दें कि ISRO के अध्यक्ष शिवन ने कहा था कि चंद्रयान-2 मिशन अपना 98 फीसदी लक्ष्य हासिल कर चुका है और ऑर्बिटर ठीक तरीके से काम कर राह है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिक लैंडर 'विक्रम' के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए काफी मशक्कत कर रहे हैं.
#ISRO
— ISRO (@isro) November 13, 2019
Have a look of 3D view of a crater imaged by TMC-2 of #Chandrayaan2. TMC-2 provides images at 5m spatial resolution & stereo triplets (fore, nadir and aft views) for preparing DEM of the complete lunar surface.
For more details visit https://t.co/urlZqzg3Gw pic.twitter.com/VBvUeH1L8s
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चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग में लग सकता है 3 साल का समय
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization-ISRO) ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. हालांकि इसकी लॉन्चिंग में कम से कम तीन साल का समय लग सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगले साल यानि 2020 तक चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग करना नामुमकिन लग रहा है. दरअसल, लैंडर, रोवर, रॉकेट और पेलोड्स को तैयार करने में कम से कम तीन साल का समय लगेगा, यही वजह है कि उससे पहले लॉन्चिंग होना नामुमकिन है. हालांकि मीडिया के कुछ हलकों में चंद्रयान-2 को नवंबर-2020 तक लॉन्च करने की भी खबरें प्रसारित हो रही हैं.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसरो ने चंद्रयान-3 के लिए कई समितियों का गठन किया है. वैज्ञानिक चंद्रयान-2 से सबक लेते हुए इस बार चंद्रयान-3 के लैंडर के पांव को पहले से ज्यादा मजबूत बनाने पर विचार कर रहे हैं, ताकि लैंडिंग के दौरान लैंडर को नुकसान होने की आशंका काफी कम हो.