ISRO Moon Mission, Chandrayaan-2: भारत ने अंतरिक्ष में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) को चंद्रमा (Moon Mission) की पांचवीं कक्षा में 1 सितंबर 2019 को सफलतापूर्वक प्रवेश करा चुका है. इसके बाद इसरो ने आज चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर ‘विक्रम’ को अलग कर दिया है, चंद्रयान 2 का लैंडर ‘विक्रम’ (Lander Vikram) सात सितंबर को तड़के डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच चंद्रमा की सतह पर उतरेगा.
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विक्रम लैंडर सोमवार को दोपहर 1.15 बजे चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हो गया है. विक्रम लैंडर वर्तमान में 119 किमी गुणा 127 किमी की कक्षा में स्थित है. चंद्रयान 2 ऑर्बिटर अपनी मौजूदा कक्षा में चंद्रमा की परिक्रमा करता रहता है. बता दें कि देश के दूसरे चंद्रमिशन चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में 20 अगस्त को प्रवेश किया था, जबकि ये मिशन 22 जुलाई 2019 को शुरू हुआ था.
ऑर्बिटर से लैंडर ‘विक्रम’ अलग होने के बाद यह सात सितंबर को चांद के साऊथ पोल एरिया में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा और इसी के साथ देश की स्पेस एजेंसी इसरो के नाम एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ जाएगी. ऐसा करके भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा. भारत (India) से पहले रूस, अमेरिका और चीन चांद पर पहुंच चुके हैं, लेकिन वे चंद्रमा South pole Area में नहीं पहुंच पाए थे. लैंडर के चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद इसके भीतर से ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर होगा.
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इसरो के चेयरमैन के सिवान ने कहा था कि हम चांद पर एक ऐसी जगह जा रहे हैं, जो अभी तक दुनिया से अछूती रही है. यह है चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव. लैंडर धीरे-धीरे ऑर्बिटर से अलग हो गया है. इसके बाद यह चांद के दक्षिणी ध्रुव के आस-पास एक पूर्वनिर्धारित जगह पर उतरेगा. बाद में रोवर वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चंद्रमा की सतह पर निकल जाएगा.