ISRO's Moon Mission (Chandrayaan 2): चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) आज चांद के पांचवीं कक्षा या पांचवें ऑर्बिट में प्रवेश करेगा. इसी के साथ भारत के इस मून मिशन में एक और सफलता जुड़ जाएगी. 30 अगस्त को चंद्रयान 2 ने चांद की चौथी कक्षा में प्रवेश किया था और दो दिन तक इसी कक्षा में चांद की परिक्रमा करता रहा. इसरो (ISRO) के द्वारा जारी एक ऑफिशियल नोटिफिकेशन में बताया गया है कि 1 सितंबर 2019 को करीब 6 से 7 बजे शाम को चंद्रयान 2 पांचवीं कक्षा में प्रवेश करेगा.
22 जुलाई को भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के द्वारा ये मिशन शुरू किया गया था. जबकि 20 अगस्त के दिन चंद्रयान 2 ने चांद की पहली कक्षा में पहुंचने में सफलता पाई थी. इसके बाद अब तक चंद्रयान 2 चांद की चार कक्षाओं में चक्कर लगा चुका है और आज इसको पांचवीं कक्षा में प्रवेश करना चाहिए. चंद्रयान 2 के दो रोवरों को 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरना है.
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7 सितंबर सबसे चुनौतीपूर्ण दिन
- 1:40 बजे रात (6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात) - विक्रम लैंडर 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा.
- 1:55 बजे रात - विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा. लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा. ये 15 मिनट बेहद तनावपूर्ण होंगे.
- 3.55 बजे रात - लैंडिंग के करीब 2 घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा. इसी के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा.
- 5.05 बजे सुबह - प्रज्ञान रोवर का सोलर पैनल खुलेगा. इसी सोलर पैनल के जरिए वह ऊर्जा हासिल करेगा.
- 5.10 बजे सुबह - प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चलना शुरू करेगा. वह एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर 14 दिनों तक यात्रा करेगा. इस दौरान वह 500 मीटर की दूरी तय करेगा.
- 7 सितंबर को चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से रॉकेट बाहुबली के जरिए प्रक्षेपित किया गया था. इससे पहले 14 अगस्त को चंद्रयान-2 को ट्रांस लूनर ऑर्बिट में डाला गया था. उम्मीद जताई जा रही है कि 7 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रयान-2 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग को लाइव देखेंगे.
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इसरो के चेयरमैन के सिवान के मुताबिक, हम चांद पर एक ऐसी जगह जा रहे हैं, जो अभी तक दुनिया से अछूती रही है. यह है चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव.अंतरिक्ष विभाग की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, इस मिशन के दौरान ऑर्बिटर और लैंडर आपस में जुड़े हुए होंगे. इन्हें इसी तरह से GSLV MK III लॉन्च व्हीकल के अंदर लगाया जाएगा. रोवर को लैंडर के अंदर रखा जाएगा.लॉन्च के बाद पृथ्वी की कक्षा से निकलकर यह रॉकेट चांद की कक्षा में पहुंचेगा.
इसके बाद धीरे-धीरे लैंडर, ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा. इसके बाद यह चांद के दक्षिणी ध्रुव के आस-पास एक पूर्वनिर्धारित जगह पर उतरेगा. बाद में रोवर वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चंद्रमा की सतह पर निकल जाएगा.
HIGHLIGHTS
- चांद के एक कदम और पास पहुंचेगा भारत.
- चंद्रयान 2 आज चांद के पांचवीं कक्षा में करेगा प्रवेश.
- 7 सितंबर को उतरेगा चांद की सतह पर.