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Chandrayaan-2 Mission: चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरेगा चंद्रयान-2, जानें क्या है इसकी वजह

चंद्रयान-2 मिशन के प्रक्षेपण की रविवार शाम 6.43 बजे शुरू की गई उल्टी गिनती सोमवार को बिना किसी अवरोध के जारी है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह जानकारी दी. चंद्रयान-2 परियोजना 978 करोड़ रुपये की है.

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Vineeta Mandal
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Chandrayaan-2 Mission: चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरेगा चंद्रयान-2, जानें क्या है इसकी वजह

Chandrayaan 2 mission (फोटो-@isro)

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चंद्रयान-2 मिशन (Chandrayaan-2 Mission) के प्रक्षेपण की रविवार शाम 6.43 बजे शुरू की गई उल्टी गिनती सोमवार को बिना किसी अवरोध के जारी है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह जानकारी दी. चंद्रयान-2 परियोजना 978 करोड़ रुपये की है. उल्टी गिनती के दौरान रॉकेट और अंतरिक्ष यान तंत्र की जांच की जाएगी और उसमें ईधन भरा जाएगा. रॉकेट सोमवार दोपहर 2.43 बजे प्रक्षेपित किया जाएगा. इसरो के अनुसार, दूसरे चरण/इंजन में अनसिमिट्रिकल डाइमिथाइलहाइड्राजाइन (यूडीएमएच) और नाइट्रोजन टेट्रोक्साइड (एन2ओ4) के साथ ईंधन भरने की प्रक्रिया हो चुकी है.

बता दें कि इससे पहले यह प्रक्षेपण 15 जुलाई की सुबह दो बजकर 51 मिनट पर प्रस्तावित था. हालांकि प्रक्षेपण से घंटे भर पहले रॉकेट में तकनीकी गड़बड़ी के कारण अभियान को रोकना पड़ा था.

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जानकारी के मुताबिक, इसरो (ISRO) चंद्रयान-2 को चांद के सउथ पोल पर उतारेगा. फिलहाल चंद्रमा के इस भाग पर कोई भी देश नहीं उतर पाया है. इसका मतलब चंद्रयान-2 अगर साउथ पोल पर उतरने में कामयाब होता है तो भारत पहला देश बन जाएगा. इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 चांद के भौगोलिक वातावरण, खनिजों, तत्वों, उसके वायुमंडल के बाहरी परत और पानी के बारे में जानकारी इकट्ठा करेगा.

बताया जा रहा है कि चांद फतह कर चुके अमेरिका, रूस और चीन ने अभी तक चंद्रमा के साउथ पोल पर कदम नहीं रखा है. इस वजह के चांद के इस भाग के बारे में अभी बहुत जानकारी भी सामने नहीं आ पाई है. चंद्रमा के हिस्से के बारें में भारत को चंद्रयान-1 मिशन के दौरान पता चला था, जहां चांद के साउथ पोल पर बर्फ के बारे में जानकारी मिली थी. इसके बाद से लोगों को इस हिस्से को लेकर जिज्ञासा पैदा हुई. भारत चंद्रयान-2 को इसी पोल के पास लैंड करवाएगा, जिसके बाद भारत मिशन मून के जरिए दूसरे देशों पर बढ़त हासिल कर लेगा.

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'बाहुबली' ले जाएगा चंद्रयान-2

चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने की जिम्मेदारी इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल- मार्क 3 (जीएसएलवी-एमके 3) को दी है. इस रॉकेट को स्थानीय मीडिया से 'बाहुबली' नाम दिया है. 640 टन वजनी रॉकेट की लागत 375 करोड़ रुपये है. यह रॉकेट 3.8 टन वजन वाले चंद्रयान-2 को लेकर उड़ान भरेगा. चंद्रयान-2 की कुल लागत 603 करोड़ रुपये है. अलग-अलग चरणों में सफर पूरा करते हुए यान सात सितंबर को चांद के दक्षिणी धु्रव की निर्धारित जगह पर उतरेगा. अब तक विश्व के केवल तीन देशों अमेरिका, रूस व चीन ने चांद पर अपना यान उतारा है.

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