Moon Mission : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 23 अगस्त को चंद्रमा के साउथ पोल की सतह पर चंद्रयान-3 को उतार दिया है. चांद पर जिस जगह पर विक्रम लैंडर ने कदम रखा है, उस प्वाइंट का नाम 'शिव शक्ति' रखा गया है. साथ ही चंद्रयान-2 जिस स्थल पर क्रैश हुआ था, उस प्वाइंट का नाम तिरंगा दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों प्वाइंटों के नामों का ऐलान किया है. साथ ही उन्होंने 23 अगस्त को नेशनल स्पेश डे मनाने की घोषणा की है.
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अंतरिक्ष में जिस जगह पर लैंडर लैंड करता है उसके नामकरण करने की एक वैज्ञानिक परंपरा है. क्या आप जानते हैं कि चंद्रमा पर तिरंगा प्वाइंट और शिव शक्ति प्वाइंट से पहले एक और प्वाइंट था, जिसका नाम जवाहर प्वाइंट है. चांद पर चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद जवाहर प्वाइंट की चर्चा शुरू हो गई है. भाजपा के नेता और ट्विटर के यूसर्ज चंद्रयान-1 मिशन की लैंडिंग साइट के नाम जवाहर प्वाइंट रखने पर आपत्ति जता रहे हैं.
गौरतलब है कि वर्ष 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चंद्रयान कार्यक्रम का ऐलान किया था और 15 अगस्त 2003 में इसकी शुरुआत हुई थी. केंद्र सरकार ने नवंबर 2003 को इसरो के मून मिशन चंद्रयान-1 को अनुमति दी थी. इसके करीब 5 साल के बाद 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-1 मिशन को चांद पर भेजा गया था.
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चंद्रयान-1 यह 8 नवंबर को चांद की कक्षा में एंट्री कर गया था और 12 नवंबर को चांद से करीब 100 किलोमीटर दूर स्टेप वाइज पहुंच गया, लेकिन चंद्रयान-1 14 नवंबर 2008 को चंद्रमा के साउथ पोल के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया. चांद के दक्षिणी ध्रुव में मौजूद शैकलटन क्रेटर के पास चंद्रयान-1 की क्रैश लैंडिंग हुई थी. उस दिन पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जयंती थी, इसलिए उस प्वाइंट का नाम जवाहर प्वाइंट रख दिया गया.
Source : News Nation Bureau