पृथ्वी पर Nitrogen के स्रोत की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में आएगी क्रांति

राइस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार उल्कापिंडों में पृथ्वी पर नाइट्रोजन उसे उसी दौरान मिली होगी. लोह उल्कापिंडों में आइसोटोपिक संकेतों के जरिए इस बात की जानकारी भी मिली है.

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Dhirendra Kumar
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Nitrogen Gas

Nitrogen Gas ( Photo Credit : newsnation)

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नाइट्रोजन (Nitrogen) के जरिए सौरमंडल (Solar System) के बहुत से रहस्य सामने आ सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पृथ्वी के निर्माण के दौरान नाइट्रोजन के स्रोत की जानकारी हासिल करके सौरमंडल के निर्माण की जानकारी को हासिल किया जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जानकारों का कहना है कि अंतरिक्ष के बहुत से रिसर्च जीवन की उत्पत्ति की खोज से ही जुड़े हुए होते हैं. वैज्ञानिक लगातार इस बारे में कोशिश कर रहे हैं. वहीं अब सवाल यह उठ रहा है कि पृथ्वी (Earth) के नाइट्रोजन गैस की उत्पत्ति कम हुई थी. शोधकर्ताओं का कहना है कि पृथ्वी के बनने के समय ही नाइट्रोजन की भी उत्पत्ति हुई थी. राइस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार उल्कापिंडों में पृथ्वी पर नाइट्रोजन उसे उसी दौरान मिली होगी. लोह उल्कापिंडों में आइसोटोपिक संकेतों के जरिए इस बात की जानकारी भी मिली है. शोध के अनुसार पृथ्वी के ऊपर नाइट्रोजन गुरू ग्रह की कक्षा के आगे से ही नहीं बल्कि ग्रह के बनने के दौरान अंदरूनी डिस्क की धूल से भी आई होगी.

कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के जैसे ही महत्वपूर्ण है नाइट्रोजन 
बता दें कि नाइट्रोजन को एक उड़नशील तत्व के तौर पर माना जाता है और कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के जैसे ही काफी महत्वपूर्ण है. अगर नाइट्रोजन के स्रोत की सही जानकारी वैज्ञानिकों को मिलती है तो वैज्ञानिकों को यह जानने में काफी मददगार साबित होगा कि सौरमंडल के अंदरूनी हिस्से में पथरीले ग्रहों को निर्माण कैसे हुआ है. साथ ही प्रोटोप्लैनेटरी डिस्क के गतिविज्ञान को समझने में मदद मिलेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में राइस फैकल्टी राजदीप दासगुप्ता (Rajdeep Dasgupta), फ्रांस की यूनिवर्सिटी ऑफ लॉरेन के जियोकैमिस्ट बर्नार्ड मार्टी (Barnard Marty) और दमनवीर ग्रेवाल (Daman Veer Grewal) शामिल हैं. ऐसा माना जा रहा है कि यह खोज उड़नशील तत्वों पर हो रही बहस पर विराम लगा सकता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दमनवीर ग्रेवाल का कहना है कि रिसर्चरों को हमेशा से मानना था कि गुरू ग्रह की कक्षा के सौरमंडल के अंदर के हिस्से नाइट्रोजन और दूसरे उड़नशील तत्व ठोस रूप में संघनित होने के लिए बहुत गर्म थे. मतलब यह हुआ कि उड़नशील तत्व आंतरिक अवस्था में गैस के रूप में थे. बता दें कि पथरीले ग्रहों के पहले के हिस्से को प्रोटोप्लैनेट कहते हैं. गौरतलब है कि हाल के कुछ वर्षों में वैज्ञानिकों ने उल्कापिंडों में अवाष्पशील तत्वों को लेकर काफी अध्ययन किया हुआ है.

Source : News Nation Bureau

Nitrogen नाइट्रोजन Nitrogen Gas
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