अब भारत (India) पर बुरी नजर रखने वाले पड़ोसी देशों (Pakistan-China) की खैर नहीं. भारत अब हवा से हवा और हवा से जमीन में मार करने में और भी ज्यादा सक्षम हो गया है. Defence Research and Development organisation (DRDO) डीआरडीओ ने अपने नेवल वैसल्स पर तैनात लाइटवेट लडाकु विमानों (Light Combat Aircraft ) की क्षमता में इजाफा किया है. भारत के डीआरडीओ ने हर लाइटवेट लडाकु विमानों में दो दूर तक मार करने की क्षमता वाली Beyond visual range missile और दो Counter Measures missiles जोड़ दिया है.
इन हथियारों के जुड़ जाने से भारत हिंद महासागर (Indian Ocean) सहित देश की सीमाओं की सुरक्षा को और भी पुख्ता कर सकेंगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लाइट वेट लड़ाकु विमानों को देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए युद्ध पोतों पर तैनात किया जाता है.
Defence Research and Development Organisation: DRDO showcases the expansion in capability of the naval version of the Light Combat Aircraft as it can be equipped with two each Beyond Visual Range missiles and two Counter Counter Measures missiles. pic.twitter.com/Xp3pioEVOz
— ANI (@ANI) November 29, 2019
यह भी पढ़ें: अब भारत से डरेंगे पाकिस्तान-चीन, देश करने जा रहा K-4 मिसाइल का परीक्षण
बता दें कि डीआरडीओ जल्द ही के-4 न्यूक्लियर क्षमता वाली मिसाइल का भी परीक्षण करने जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत रविवार को K-4 Missile का परीक्षण करने जा रहा है.
इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने जानकारी दी है कि सबमरीन से लॉन्च होने वाली इस मिसाइल K-4 (Missle K4) का परीक्षण होगा. इस परीक्षण की सफलता तकनीक के साथ-साथ मौसम पर भी आधारित होगी.
यह भी पढ़ें: आर्थिक विकास दर में गिरावट पर मनमोहन सिंह बोले- अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भारत अगर K-4 न्यूक्लियर मिसाइल का सफल परीक्षण कर लेता है तो वह अमेरिका, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन और रूस के बाद छठा ऐसा देश होगा जिसके पास वॉटर न्यूक्लियर मिसाइल होगी. भारत की K-4 न्यूक्लियर मिसाइल करीब 3500 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है.
यह भी पढ़ें: देश की आर्थिक विकास दर में गिरावट, मोदी सरकार में सबसे निचले स्तर पर पहुंची GDP
बता दें कि भारत की के-4 मिसाइल अरिहंत क्लास की परमाणु पनडुब्बी में भी उपयोग की जा सकेगी. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) की ओर से तैयार की गई इस मिसाइल को डेवलपमेंट ट्रायल के तौर पर पानी के नीचे पांटून से टेस्ट किया जाएगा.
HIGHLIGHTS
- DRDO ने लाइट वेट कॉम्बैट विमानों को किया उन्नत.
- अब देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा हुई और भी चाक चौबंद.
- डीआरडीओ जल्द ही के-4 न्यूक्लियर क्षमता वाली मिसाइल का भी परीक्षण करने जा रहा है.