आज के मौजूदा दौर में बगैर मोबाइल फोन (Mobile Phone) के जीवन की कल्पना करना भी नामुमकिन लगता है. यही नहीं नई पीढ़ी तो इस बारे में सोच भी नहीं सकती है, लेकिन आज से 26 साल पहले लोग बगैर मोबाइल फोन के ही रह रहे थे और आज वह समय भी आ गया है जब लोग मोबाइल फोन के बिना एक पल भी नहीं रह पा रहे हैं. भारत की बात करें तो आज ही के दिन यानी 31 जुलाई 1995 को मोबाइल क्रांति की शुरुआत हुई थी. 31 जुलाई, 1995 को पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु (Jyoti Basu) ने पहली बार मोबाइल से तत्कालीन केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम (Sukh Ram) को कॉल किया था. इसके बाद भारत तेजी से मोबाइल क्रांति की ओर आगे बढ़ा. उस समय आउटगोइंग कॉल के साथ ही इनकमिंग कॉल के भी पैसे लगते थे.
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राइटर्स बिल्डिंग से नई दिल्ली स्थित संचार भवन में हुई थी कॉल
पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग से नई दिल्ली स्थित संचार भवन में यह कॉल की थी. तब भारत की पहली मोबाइल ऑपरेटर कंपनी मोदी टेल्स्ट्रा थी और इसकी सर्विस मोबाइल नेट (mobile net) के नाम से जानी जाती थी. मोदी टेल्स्ट्रा भारत के मोदी ग्रुप और ऑस्ट्रेलिया की टेलीकॉम कंपनी टेल्स्ट्रा का जॉइंट वेंचर था. मोदी टेल्स्ट्रा उन 8 कंपनियों में से एक थी जिसे भारत में सेल्युलर सर्विस प्रोवाइड करने का लाइसेंस मिला था.
शुरुआती पांच साल में 50 लाख थे मोबाइल सब्सक्राइबर
शुरुआती पांच साल में मोबाइल सब्सक्राइबर्स की संख्या 50 लाख पहुंची, जबकि मई 2015 के अंत में देश में टेलीफोन कनेक्शनों की कुल संख्या एक बिलियन क्रॉस कर गई. इस आंकड़े में बढ़ोतरी जारी है. प्रारंभ में महंगे कॉल टैरिफ के चलते भारत में मोबाइल सेवा को ज्यादा लोगों तक पहुंचने में समय लगा. उन दिनों में आउटगोइंग कॉल्स के अलावा इनकमिंग कॉल्स के पैसे लगते थे. एक आउटगोइंग कॉल के लिए 16 रुपये प्रति मिनट तक शुल्क लगता था.
HIGHLIGHTS
- ज्योति बसु ने कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग से नई दिल्ली स्थित संचार भवन में यह कॉल की थी
- मोदी टेल्स्ट्रा भारत के मोदी ग्रुप और ऑस्ट्रेलिया की टेलीकॉम कंपनी टेल्स्ट्रा का जॉइंट वेंचर था