केंद्र सरकार और माइक्रोब्लॉगिंग साइट Twitter के बीच शुरू हुआ विवाद तूल पकड़ता जा रहा है. Twitter द्वारा इंटरनेट मीडिया की नई नियमावली को न मानने पर केंद्र सरकार ने उसका स्पेशल स्टेट्स खत्म करने की घोषणा की है. दरअसल, Twitter के अडिय़ल रुख के बाद भारत सरकार सख्त हो गई है. यही वजह है कि केंद्र की ओर से Twitter को कोई भी छूट न देने का फैसला किया गया है. इस बीच वित्त मंत्रालय में प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने बुधवार को कहा कि कंपनियों को भारतीय कानूनों का पालन करना ही होगा. उन्होंने आगे कहा कि विशेष रूप से तब जब विदेशी कंपनियां भारत की आंतरिक राजनीतिक बहस में किसी का पक्ष लेती हैं तो ऐसी घटनाएं विदेशी उपनिवेशीकरण को जन्म देती हैं.
डिजिटल उपनिवेशवाद भी काफी खराब
हालांकि ऐसा करना भौतिक रूप से संभव नहीं है, लेकिन डिजिटल उपनिवेशवाद भी काफी खराब है. सरकारी सूत्रों के अनुसार ट्विटर का मध्यस्थ का दर्जा खत्म होने से अब कंटेंट को लेकर किसी भी तरह की शिकायत मिलने पर माइक्रोब्लॉगिंग साइट के खिलाफ कार्रवाई की जा सकतीह है. गौरतलब है कि बीते 5 जून को केंद्र ने ट्विटर को नियमों का पालन करने की लास्ट वॉर्निंग दी थी. लेकिन ट्विटर पर इस चेतावनी का कोई असर नहीं हुआ, जिसके चलते सरकार को मजबूरी के चलते यह कदम उठाना पड़ा है.
ट्विटर द्वारा एक मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त
आपको बता दें कि इससे पहले माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर द्वारा एक मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त किए जाने के एक दिन बाद, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि अमेरिका स्थित कंपनी नए नियमों का पालन करने में विफल रहा है. ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, मंत्री ने नए मानदंडों का पालन करने के लिए अनिच्छा दिखाने पर प्लेटफार्म की कड़ी आलोचना की. प्रसाद ने कहा, "कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्विटर सुरक्षित कानूनी प्रावधान का हकदार है. हालांकि, इस मामले का साधारण तथ्य यह है कि ट्विटर 26 मई से लागू होने वाले मध्यस्थ दिशानिदेशरें का पालन करने में विफल रहा है.
HIGHLIGHTS
- केंद्र सरकार और माइक्रोब्लॉगिंग साइट Twitter के बीच विवाद बढ़ा
- केंद्र सरकार ने Twitter का स्पेशल स्टेट्स खत्म करने की घोषणा की
- ट्विटर नए दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल रहा: आईटी मंत्रालय