खगोलविदों और वैज्ञानिकों ने केवल सौरमंडल की उम्र का अनुमान लगाया है बल्कि यह भी आंकलन किया है कि इसका अंत कैसे होगा. हालांकि ताजा अध्ययन मानव सभ्यता को डराने वाला है. इससे पता चला है कि जितना सोचा गया था उससे कहीं पहले हमारे सौरमंडल का अंत हो जाएगा. सबसे आखिर में हमारे सूर्य का अंत होगा. उस समय वह सिकुड़कर एक स्फेद वामन तारा हो जाएगा और धीरे धीरे उसकी ऊष्मा खत्म होने के बाद वह एक मृत ठंडी चट्टान में बदल जाएगा. इसमें हजारों खरबों साल लगेंगे, लेकिन उससे पहले सौरमंडल के बाकी हिस्सों का अंत हो चुका होगा.
बिखर कर खो जाएंगे सारे ग्रह
नए सिम्यूलेशन्स के मुताबिक हमारे सौरमंडल के ग्रहों को केवल 100 अरब सालों का समय लगेगा. जब वे गैलेक्सी में बिखर जाएंगे और सूर्य को धीरे धीरे मरने के लिए छोड़ देंगे. खगोलविद और भौतिकविद हमारे सौरमंडल के खात्मे के बारे पूरी तरह से जानने की कोशिश सैकड़ों सालों से कर रहे हैं.
न्यूजन ने जताया था अंदेशा
अपने नए शोध में लॉस एंजेलिस कैलिफोर्निया यूनिवर्सटी के खगोलविद जोन जिंक और मिशिगन यूनिवर्सिटी के खगोलविद फ्रेड एडम्स और कैल्टेक के कोन्सटैनटिन बैटिजिन ने लिखा है कि एस्ट्रोफिजिक्स के सबसे पुरानी पड़तालों में से एक हमारे सौरमंडल के लंबे समय तक के स्थायित्व को समझना था. खुद न्यूटन ने यह जानने की कोशिश की थी. उन्होंने यह अनुमान लगाया था कि ग्रहों के आपसी अंतरक्रिया अंततः सौरमंडल के स्थायित्व को अस्थिर कर देगी.
अंतर क्रिया से उलझी पहेली
मामला उतना आसान नहीं है बल्कि जितना लगता है उससे कहीं अधिक पेचीदा है. किसी गतिशील सिस्टम में जब बहुत सारे पिंड शामिल होते हैं जो एक दूसरे से अंतरक्रिया करते हैं तो सिस्टम और ज्यादा जटिल हो जाता है. ऐसे सिस्टम का पूर्वानुमान लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है. इसे एन बॉडी प्रॉब्लम कहा जाता है. इस जटिलता के कारण सौरमंडल की कक्षाओं के पिछले समय के कुछ पैमानों पर निश्चित अनुमान लगाना नामुमकिन है. 50 लाख से एक करोड़ साल के बाद यह निश्चितता पूरी तरह से खत्म हो जाती है. लेकिन अगर हम यह पता लगा सके कि हमारे सौरमंडल के अंत में क्या होगा तो उससे हम यह पता चल सकता है कि हमारे ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कैसे हुई थी. वह भी उसकी 13.8 अरब साल की उम्र से कहीं पहले.
इस तरह होगा सौर मंडल का अंत
साल 1999 में खगोलविदों ने पूर्वानुमान लगाया कि सौरमंडल धीरे धीरे कम से कम सौ अरब सालों में बिखर जाएगा. यह गुरू और शनि के ऑर्बिटल रेजोनेस को यूरेनस को अलग करने में समय लगेगा. अब जिंक की टीम के अनुसार इस गणना में कुछ अहम प्रभाव छोड़ दिए गए थे जो सौरमंडल को जल्दी बिखरा सकते हैं. इस अध्ययन के मुताबिक सूर्य 5 अरब साल बाद पहले लाल बड़े पिंड में बदलेगा और बुध, शुक्र और पृथ्वी को निगल लेगा. इसके बाद वह अपना आधा भार उत्सर्जित कर देगा. इसके बाद उसकी दूसरे ग्रहों पर गुरुत्व पकड़ ढीली हो जाएगी.
मंगल का प्रभाव पड़ेगा कम
ऐसे में गैलेक्सी के दूसरे तारे भी ग्रहों पर प्रभाव डालेंगे जो हर 2.3 करोड़ साल में हमारे सौरमंडल के पास आते हैं. इन सबका बहुत अधिक प्रभाव होगा. इससे कुछ ग्रहों का आपस में संबंध खत्म होगा और वे स्वतंत्र होकर अलग हो जाएंगे. इन सब के असर को शामिल कर शोधकर्ताओं ने दस एन बॉडी सिम्यूलेशन दूसरे ग्रहों के लिए चलाए जिसमें मंगल ग्रह को छोड़ दिया क्योंकि उसका प्रभाव बहुत कम पड़ेगा. 30 अरब साल में बाकी ग्रह दूर होना शुरू हो जाएंगे, उसके अगले 50 अरब साल बाद अंतिम ग्रह भी सौरमंडल से अलग होगा और 100 अरब साल बाद सूर्य भी खत्म हो जाएगा.
Source : News Nation Bureau