भारत सरकार चाहती है कि 2030 से पहले कम से कम 30% वाहन, इलेक्ट्रिक वहीकल में तब्दील कर दिया जाए ,लेकिन इन्हें लेकर कई चुनौतियां हैं जैसे बैटरी को चार्ज करने में बहुत लंबा समय लगता है, इलेक्ट्रिक वहीकल की रेंज काफी कम है और ड्राइवर लेस गाड़ियां, आज भी किसी साइंस फिक्शन फिल्म की तरह दूर भविष्य में नजर आती है. अब यह सब कुछ सच होने वाला है, समस्याओं का समाधान लेकर आया है आईआईटी दिल्ली. भारत के पास लिथियम के भंडार नहीं है जिनसे इलेक्ट्रिक वही कल की बैटरी बनाई जाती है, इसलिए सबसे पहले आईआईटी ने कोशिश की है की लिथियम की बैटरी का निर्माण भारत की जरूरतों के अनुसार मेड इन इंडिया तकनीक से किया जाए, क्योंकि भारत में गर्मी ज्यादा रहती है इसलिए ऐसी बैटरी बनाई जा रही है जो ना सिर्फ साइज़ में छोटी और पावर में ज्यादा हो, बल्कि तेज गर्मी और घनघोर ठंड का भी सामना कर पाए.
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जब देश में मोबाइल का चलन तेजी से बढ़ा था, तब उसने रिमूवेबल बैटरी आती थी यानी, अगर बैटरी खत्म हो जाए तो दूसरी बैटरी डाल दीजिए. अगर ऐसी ही बैटरी स्वेपिंग टू व्हीलर यानी ई स्कूटर की बैटरी के साथ होने लगे तो यह गेम चेंजर तकलीक हो सकती है. जिसमें सिर्फ 1 मिनट के अंदर आपको एक फुल्ली चार्ज बैटरी मिल जाएगी यानी पेट्रोल भरने से भी कम समय में. खास बात यह है कि यह सिर्फ प्रयोग के तौर पर नहीं है, बल्कि यह तकनीक आईआईटी दिल्ली के द्वारा पूरी तरह से विकसित की जा चुकी है. भारत सरकार के सहयोग से आने वाले चंद महीनों में सिर्फ राजधानी दिल्ली में 50 सेंटर बनाए जाएंगे जहां इलेक्ट्रिक स्कूटर की बैटरी को रेडियो फ्रिकवेंसी टैग के जरिए चेंज करके 1 मिनट में फुल बैटरी मिल सकेगी.
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यह तो हुई टू व्हीलर की बात लेकिन जब फोर व्हीलर व्हीलर की बात हो, जब इलेक्ट्रिक वही कल गाड़ियों का सवाल हो तो वहां जरूरी है कि चार्जिंग में लगने वाले समय को कम किया जाए. अभी तक अल्टरनेट करंट के जरिए 8 घंटे में बैटरी चार्ज की जाती है, जबकि डायरेक्ट करंट में 2 घंटे का समय लगता है, लेकिन अब आईआईटी दिल्ली ने एक ऐसा फास्ट चार्जिंग स्टेशन बनाया है जो सिर्फ 40 मिनट में बैटरी को पूरी तरह से चार्ज कर देगा यानी अब इलेक्ट्रिक वही कल के लिए भी फास्ट चार्जिंग ऑपन उपलब्ध है.
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अब बात सबसे बड़े सपने की जो सपना एलॉन मस्क ने टेस्ला कंपनी को बनाते हुए देखा था. जो सपना है बिना ड्राइवर की गाड़ी चलाने को लेकर है. अब इस तकनीक पर भी आईआईटी दिल्ली बहुत तेजी से काम कर रही है. जिसमें रेडार, 360 डिग्री कैमरे, एल्गोरिदम, मशीन लर्निंग ,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और 5G तकनीक के जरिए काम किया जा रहा है. खास बात यह है कि भले ही देश में कहीं भी व्यवसायिक रूप से 5G टेक्नोलॉजी उपलब्ध नहीं है, लेकिन आईआईटी दिल्ली में ड्राइवरलेस कार तकनीक को विकसित करने के लिए 5G टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जा रहा है.
इलेक्ट्रिक वही कल से 2 बड़े फायदे हैं. पहला तो यह कि पेट्रोलियम खरीदने में जितना पैसा भारत खर्च करता है उससे बचा जा सकता है और दूसरा यह कि इलेक्ट्रिक वही कल पूरी तरह से प्रदूषण रहित वाहन होंगे जिससे दिल्ली जैसे शहरों के प्रदूषण के स्तर में भी कमी आ सकती है, क्योंकि दिल्ली में तकरीबन 30% प्रदूषण अकेली वाहनों की वजह से फैलता है, हालांकि इसके लिए अभी लंबा इंफ्रास्ट्रक्चर भी विकसित करना होगा, ना सिर्फ चार्जिंग स्टेशन और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के लिहाज से बल्कि ऐसी स्पेशल हाईवे बनाकर जहां बिना ड्राइवर के इलेक्ट्रिक वही कल चलाई जा सके.
HIGHLIGHTS
- सिर्फ 1 मिनट के अंदर आपको एक फुल्ली चार्ज बैटरी मिल जाएगी
- यह तकनीक आईआईटी दिल्ली के द्वारा पूरी तरह से विकसित की जा चुकी है
- दिल्ली में तकरीबन 30% प्रदूषण अकेली वाहनों की वजह से फैलता है