भारत को एक और कामयाबी मिली है. भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एंटी-शिप वर्जन का सफल परीक्षण किया है. इस मिसाइल का परीक्षण अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मंगलवार को किया गया. ये परीक्षण भारतीय नौसेना द्वारा किए जा रहे परीक्षणों का हिस्सा है. इस मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारतीय नौसेनी की शक्ति में और ज्यादा इजाफा होगा.
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आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अगले कुछ दिनों में भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना द्वारा सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के अलग अलग संस्करण का परीक्षण किया जाना है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस एक भारत-रूसी संयुक्त उद्यम है जो इस घातक हथियार का उत्पादन करता है. ब्रह्मोस मिसाइल को पनडुब्बियों, पोतों, विमानों या जमीन पर से भी दागा जा सकता है. भारत ने पहले ही लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे कई रणनीतिक स्थानों पर मूल ब्रह्मोस मिसाइलों और बड़ी संख्या में अन्य प्रमुख हथियारों की तैनाती की है.
इससे पहले 24 नवंबर को भारत ने सतह से सतह तक मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफल परीक्षण किया था. यह परीक्षण हथियार के नियोजित परीक्षणों की श्रृंखला के हिस्से के तहत किया गया था. मिसाइल के सतह पर मार करने में सक्षम इस नए संस्करण की मारक क्षमता को मूल 290 किमी से बढ़ाकर 400 किमी तक किया गया था. लेकिन इसकी गति 2.8 मैक या ध्वनि की गति से लगभग तीन गुनी कायम रखी गई थी.
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भारत ने पिछले ढाई महीनों में रुद्रम-1 नामक विकिरण-रोधी मिसाइल सहित कई मिसाइलों का परीक्षण किया है. रुद्रम को 2022 तक सेना में शामिल किए जाने की योजना है. ब्रह्मोस मिसाइल के एक नौसैनिक संस्करण का 18 अक्टूबर को अरब सागर में भारतीय नौसेना के स्वदेश में निर्मित टोही विध्वंसक से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था. भारतीय वायु सेना ने 30 अक्टूबर को बंगाल की खाड़ी में एक सुखोई युद्धक विमान से मिसाइल के हवाई संस्करण का परीक्षण किया था.
Source : News Nation Bureau