भारतीय वैज्ञानिक एक ऐसा 'अंडर वॉटर क्राफ्ट' बना रहे है जिसके जरिये इंसान गहरे समुद्र में जा पाएंगे। अभी हाल इसरो के वैज्ञानिकों ने इंसान को अंतरिक्ष में ले जाने की क्षमता वाले सबसे भारी राकेट GSLV-Mk3 को लॉन्च किया था।
ईएसएसओ-नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओशन टेक्नॉलजी (NIOT) से जुड़े वैज्ञानिकों की एक टीम गहरे पानी में जा सकने वाले देश के पहले इंसानी 'अंडर वॉटर क्राफ्ट' के शुरुआती डिजाइन को तैयार किया है। इसमें तीन लोग सवार हो सकते हैं हालांकि अभी इसे आने वाले पांच साल में तैयार होने की उम्मीद है।
इसे करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जायेगा 'अंडर वॉटर क्राफ्ट'।
'अंडर वॉटर क्राफ्ट' की खासियत
- 'अंडर वॉटर क्राफ्ट' की मदद से वैज्ञानिक गहरे समुद्र में छह किमी नीचे तक जा सकेंगे।
- इसके जरिए दुर्लभ धातुओं और जीव-जंतुओं के बारे में पता भी लगाया जा सकेगा।
- 'अंडर वॉटर क्राफ्ट' को एक एक शिप के द्वारा समुद्र में उतारा जाएगा।
- इसमें तीन क्रू मेंबर एक टाइटैनियम के खोल में लेटे होंगे और वो पानी के अंदर लगातार आठ से 10 घंटे तक काम कर पाएंगे।
- इसमें एक रोबॉटिक हाथ भी लगाया गया है जिसकी मदद से वह समुद्र के तल से सैंपल्स इकट्ठा कर सकेंगे। इसके अलावा, शीशे की खिड़की के जरिए समुद्री सतह का बेहतर तरीके से जांच भी कर सकेंगे।
- 'अंडर वॉटर क्राफ्ट' की मदद से वैज्ञानिक गहरे समुद्र में छह किमी नीचे तक जा सकेंगे और इसके जरिए दुर्लभ धातुओं और जीव-जंतुओं के बारे में पता भी लगाया जा सकेगा।
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NIOT के डायरेक्टर सतीश शेनोई ने बताया कि उनके संगठन ने एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया है और मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'एक बार मंजूरी मिलते ही वैज्ञानिकों की एक टीम डिजाइन का मूल्यांकन करके उसे बेहतर बनाएगी। इस टीम में इसरो, डीआरडीओ और आईआईटी के एक्सपर्ट शामिल भी होंगे।'
बड़े मिशन को अंजाम देने से पहले वैज्ञानिक इससे मिलता जुलता एक समुद्री यान अगले तीन साल में बनाने की योजना बना रहे हैं, जो इंसान को हिंद महासागर में 500 मीटर गहरे तक ले जा सकेंगे।
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HIGHLIGHTS
- 500 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जायेगा 'अंडर वॉटर क्राफ्ट'।
- 'अंडर वॉटर क्राफ्ट' की मदद से वैज्ञानिक गहरे समुद्र में छह किमी नीचे तक जा सकेंगे और इसके जरिए दुर्लभ धातुओं और जीव-जंतुओं के बारे में पता भी लगाया जा सकेगा।
Source : News Nation Bureau