भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के वैज्ञानिकों (Indian Scientists) के एक दल ने एक ऐसा उपकरण तैयार किया है, जो उनके मुताबिक एक स्थानीय क्षेत्र में वाष्पीकरण की दर का पता कुछ मिनटों में ही लगा सकता है. बेंगुलुरु स्थित संस्थान ने एक बयान में कहा कि वाष्पीकरण का पता लगाने के लिए यह उपकरण मौजूदा तरीकों की अपेक्षा ज्यादा प्रभावी और कम खर्चीला है. आईआईएससी के यांत्रिक इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर जयवंत एच अराकेरी ने बताया कि उनके इस तरीके से पौधों में वाष्पोत्सर्जन और मिट्टी से वाष्पीकरण का पता ज्यादा बेहतर तरीके से लगाया जा सकता है.
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जर्नल ऑफ हाइड्रोलॉजी में हाल में प्रकाशित इस अध्ययन के वह वरिष्ठ लेखक हैं. वाष्पीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पानी तरल से गैसीय अवस्था में बदल जाता है. जल चक्र का अहम हिस्सा होने के साथ ही साथ वाष्पीकरण पौधों में जल की कमी को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इस प्रक्रिया को वाष्पोत्सजर्न (ट्रांसपाइरेशन) कहा जाता है. वाष्पीकरण दर को मापना किसानों के लिए भी बेहद उपयोगी है क्योंकि इससे उन्हें अपने खेतों में पानी की जरूरतों का पता लगता है.
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लेखकों का कहना है कि उनके इस उपकरण के जरिए समुद्र में वाष्पीकरण के तरीके में बदलाव का भी अध्ययन किया जा सकता है. उनका कहना है कि अगला कदम इस उपकरण को बाजार के हिसाब से उपलब्ध कराना है.