आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि पश्चिमी और पूर्वी देशों के लोगों की तुलना में भारतीयों का दिमाग छोटा है. न्यूरोलॉजी इंडिया नामक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित शोध (Research) के मुताबिक भारतीयों के दिमाग लंबाई, चौड़ाई और घनत्व तीनों दृष्टि से ही पश्चिमी और पूर्वी देशों के लोगों की तुलना में कुछ छोटा होता है.
हैदराबाद आईआईआईटी (Hyderabad IIT) द्वारा पहली बार किए गए शोध (Research) में इंडियन ब्रेन एटलस (Indian Brain Atlas) तैयार किया गया. अल्जाइमर और दिमाग से जुड़ी अन्य बीमारियों को ध्यान में रखकर यह शोध (Research) किया गया. इस शोध (Research) से दिमाग से जुड़ी परेशानियों को समझने में काफी मदद मिलेगी.
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, हैदराबाद (आईआईआईटी-एच) के शोध (Research) कर्ताओं के मुताबिक भारतीयों के दिमाग का आकार मॉ्ट्रिरयल न्यूरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (एमएनआई) की तुलना में छोटा है, जो कि कई अलग-अलग स्कैन में साबित हुआ है, इसलिए एमएनआई के जरिए भारतीय दिमाग की जांच करना गलत पहचान की वजह बन सकता है.
यह भी पढ़ेंः अखबार बेचने वाले बच्चे ने ऐसा क्या किया कि फेसबुक पर अमिताभ बच्चन ने लिख दिया इतना बड़ा पोस्ट
इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले सेंटर फॉर विजुअल इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के जयंती सिवास्वामी ने बताया कि दिमाग से जुड़ी बीमारियों की निगरानी करने के लिए मॉ्ट्रिरयल न्यूरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (एमएनआई) टेंपलेट का उपयोग मानक के रूप में उपयोग किया जाता है.
यह भी पढ़ेंः अंधेरे में स्मार्टफोन पर काफी देर तक टिकी रहती है आपकी नजर तो पढ़ें ये खबर
जयंती सिवास्वामी कहते हैं, "हमारे पास इस शोध (Research) से जुड़े पुख्ता प्रमाण हैं, जिनसे इस बात की जरूरत महसूस होती है कि दिमाग के ढांचे और उससे जुड़ी बीमारियों पर शोध (Research) करने के लिए एक ‘बड़ा मानचित्र' बनाए जाने कि जरूरत है. इससे इस बात को समझा जा सकेगा कि दिमाग के आकार के अलग-अलग प्रकारों में किसे सामान्य मानकर शोध (Research) किए जाने चाहिए."
यह भी पढ़ेंः प्राईवेट जॉब करने वालों के लिए बड़ी खबर, एक साल नौकरी करने वालों को भी मिलेगी ग्रेच्युटी
जयंती ने कहा, दिमाग के आकार को लेकर अब जक जितने भी टेम्पलेट विकसित किए गए उनमें चीनी और कोरियाई ब्रेन टेम्पलेट्स शामिल हैं, लेकिन भारत की आबादी के लिए कोई संगत टेम्पलेट इससे पहले विकसित नहीं किया गया था.