NISAR Satellite: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा एक साथ मिलकर एक सैटेलाइट का निर्माण कर रहे हैं. जिसे स्पेस एजेंसी ने 'इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार' (NISAR) नाम दिया है. नासा और इसरो इसे अलगे साल के शुरुआत में लॉन्च करेंगे. इस सैटेलाइट को बनाने में बहुत पैसा खर्च हुआ है साथ ही इसका वजन भी दूसरे उपग्रहों की तुलना में कहीं ज्यादा है. ये भी पढ़ें: मेटा ने फेसबुक के लिए लॉन्च किया शानदार फीचर, यूजर्स अब एक ही अकाउंट से बना सकेंगे कई प्रोफाइल
नासा और इसरो का ये संयुक्त उपक्रम इकोसिस्टम में गड़बड़ी और दुनिया भर में बदल रहे मौसम का निरीक्षण करेगा. इसके साथ ही ये भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं को लेकर भी वैज्ञानिकों को सूचना देगा. जिससे वक्त रहते सुरक्षा के इंतजाम किए जा सकें और ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके. इस उपग्रह का वजन 2,600 किलोग्राम बताया जा रहा है.
12 हजार करोड़ से ज्यादा आया खर्चा
इस उपग्रह को बनाने में 1.5 अरब डॉलर का खर्चा आया है. जो भारतीय रुपयों में 12 हजार करोड़ से ज्यादा होता है. इसी के साथ इसे सबसे महंगा पृथ्वी अवलोकन उपग्रह भी माना जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, निसार उपग्रह 5 से 10 मीटर के रिजॉल्यूशन पर हर महीने 4 से 6 बार पृथ्वी की भूमि और बर्फ के द्रव्यमान की ऊंचाई को एक उन्नत रडार इमेजिंग के जरिए मैप करेगा. इसके सात ही ये पृथ्वी, समुद्र और बर्फ की सतह का भी अवलोकन करेगा. यही नहीं ये सैटेलाइट छोटी से छोटी मूवमेंट को भी आसानी से पकड़ लेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस उपग्रह के जरिए वह ये जानने की कोशिश करेंगे कि सतह के नीचे क्या हो रहा है.
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इसरो को मिलेगा डेटा
वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह सैटेलाइट जितने विस्तार के साथ जानकारी हासिल करेगा, उसके लिए कई किलोमीटर लंबे एंटीना की जरूरत पड़ेगी. जिसे व्यावहारिक रूप से असंभव माना जा रहा है. इसलिए वैज्ञानिक सैटेलाइट के तेज मोशन का इस्तेमाल करेंगे, जिससे एक वर्चुअल एंटीना बन सकेगा. जिसके जरिए भारतीय शोधकर्ता और वैज्ञानिक निसार सैटेलाइट मिशन के डेटा को हासिल कर सकेंगे. यही नहीं वैज्ञानिकों को इसके विश्लेषण की व्याख्या का मौका मिलेगा.
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टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नासा ने इसी साल जुलाई में जानकारी दी कि इस मिशन के दो प्रमुख घटकों को बेंगलुरु में जोड़ा गया है. नासा ने बताया था कि जून में बेंगलुरु में इंजीनियरों ने सैटेलाइट के अंतरिक्ष यान बस और रडार को एक साथ जोड़ दिया. इस पेलोड को मार्ट की शुरुआत में दक्षिणी कैलिफोर्निया के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी से लाया गया है. सैटेलाइट का बस एक एसयूवी के आकार का है. इसके ज्यादातर हिस्से को सुनहरे रंग के थर्मल कंबल से लपेटा गया है.
HIGHLIGHTS
- इसरो और नासा ने बनाया सबसे महंगा सैटेलाइट
- अगले साल लॉन्च किया जाएगा 'निसार' उपग्रह
- निसार को बनाने में लगे हैं 12 हजार करोड़ रुपये
Source : News Nation Bureau