चंद्रयान 2 की तरह है इसरो चीफ के. सिवन की कहानी, फर्श से अर्श तक तय किया है सफर

इसरो चीफ के. सिवन का जीवन मिशन चंद्रयान (Chandrayaan 2) की तरह ही है. उन्होंने भी फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है.

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Sunil Mishra
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चंद्रयान 2 की तरह है इसरो चीफ के. सिवन की कहानी, फर्श से अर्श तक तय किया है सफर

चंद्रयान 2 की तरह है के. सिवन की कहानी

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इसरो अध्‍यक्ष के. सिवन शनिवार को भावुक हो गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्‍ट्र के नाम संबोधन के बाद जब डायस से नीचे उतरे तो उनसे मिलकर इसरो चीफ रोने लगे. पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्‍हें थामा, गले लगाया और उनकी हिम्‍मत बढ़ाई. पीएम ने उनसे कहा, हम निश्चित रूप से सफल होंगे. हमारी सफलता के रास्ते में भले ही एक रुकावट आई लेकिन हम अपनी मंजिल से डिगे नहीं है. इसरो चीफ के. सिवन का जीवन मिशन चंद्रयान (Chandrayaan 2) की तरह ही है. उन्होंने भी फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है. आइए जानते हैं गरीब किसान के घर पैदा हुए के. सिवन ने कैसे अद्भुत कामयाबियों भरा ये सफर तय किया?

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तमिलनाडु के तटीय जिले कन्याकुमारी के सराकल्लविलाई गांव में खेतिहर किसान कैलाशवडीवू और चेल्लम के घर 14 अप्रैल 1957 को के. सिवन का जन्‍म हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल में तमिल माध्यम से हुई. सिवन पढ़ाई में अच्छे थे. अत: पिता और परिवार के अन्य लोगों ने उन्हें प्रोत्साहित किया. गरीबी के बाद भी सिवन ने नागेरकोयल के एसटी हिंदू कॉलेज से बीएससी (गणित) की पढ़ाई 100 प्रतिशत अंकों के साथ पूरी की. स्नातक करने वाले वे परिवार के पहले सदस्य थे. सिवन ने 1980 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की. इसके बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज (आइआइएससी) से इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर के बाद 2006 में उन्होंने आइआइटी बांबे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की.

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सिवन 1982 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़ गए. उन्होंने पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) परियोजना में योगदान देना शुरू किया. अप्रैल 2011 में वह जीएसएलवी के परियोजना निदेशक बने. सिवन के योगदान को देखते हुए जुलाई 2014 में उन्हें इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर का निदेशक नियुक्त किया गया. एक जून, 2015 को उन्हें विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) का निदेशक नियुक्‍त किया गया. 15 जनवरी, 2018 को सिवन ने इसरो के मुखिया का पद्भार संभाला.

के. सिवन ने 15 फरवरी 2017 को भारत द्वारा एक साथ 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में अहम भूमिका निभाई. यह इसरो का विश्व रिकॉर्ड भी है. 15 जुलाई, 2019 को जब चंद्रयान-2 अपने मिशन के लिए उड़ान भरने ही वाला था कि कुछ घंटों पहले तकनीकी कारणों से इसे रोकना पड़ा. इसके बाद सिवन ने एक उच्चस्तरीय टीम बनाई, ताकि दिक्कत का पता लगाया जा सके और इसे 24 घंटे के अंदर ठीक कर दिया गया.

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खाली समय में सिवन तमिल क्लासिकल संगीत सुनना पसंद करते हैं. उन्‍हें बागवानी करना भी पसंद है. उनकी पसंदीदा फिल्म राजेश खन्ना अभिनीत आराधना (1969) है. उन्होंने एक बार पत्रकारों से कहा था कि जब मैं वीएसएससी का निदेशक था तब मैंने तिरुवनंतपुरम स्थित अपने घर के बगीचे में कई तरह के गुलाब उगाए थे.

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