तीन सितंबर (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ‘इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर’ (आईएडी) की एक ऐसी नई प्रौद्योगिकी का शनिवार को सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया, जो मंगल और शुक्र सहित भविष्य के कई मिशन में उपयोगी साबित हो सकती है। इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) द्वारा बनाए और विकसित किए एक आईएडी का ‘थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र’ (टीईआरएलएस) से ‘रोहिणी’ परिज्ञापन रॉकेट से सफलतापूर्वक प्रायोगिक प्रक्षेपण किया गया। इसरो के अनुसार, आईएडी को शुरू में मोड़ा गया और रॉकेट के पेलोड बे के अंदर रखा गया।
उसने बताया कि लगभग 84 किलोमीटर की ऊंचाई पर आईएडी को फुलाया गया था और यह रॉकेट के पेलोड हिस्से के साथ वायुमंडल में नीचे उतरा। उसने बताया कि इसे फुलाने की प्रणाली इसरो के तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) ने विकसित की है। आईएडी ने वायुगतिकीय कर्षण के माध्यम से पेलोड के वेग को व्यवस्थित रूप से कम कर दिया और यह अपने अनुमानित मार्ग पर चला।
अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में कहा, ‘‘आईएडी में रॉकेट के खर्च चरणों की वसूली समेत अंतरिक्ष क्षेत्र में कई प्रकार से इस्तेमाल किए जाने की अपार संभावना है। इसे मंगल या शुक्र पर पेलोड उतारने और मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए अंतरिक्ष पर ठिकाना बनाने के क्षेत्र में इस्तेमाल किए जाने की काफी संभावनाएं हैं।’
Source : Pranav Jha