भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने सफल मिशनों से दुनिया में एक अलग आयाम बना रहा है. हाल ही में चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद इसरो ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था और इस बार फिर से इसरो कुछ ऐसा ही करने जा रहा है, जिससे पूरी दुनिया की नजरें इसरो पर होंगी. इसरो अब चंद्रमा और सूर्य के बाद अतंरिक्ष की रहस्यों को सुलझाने जा रहा है यानी साल 2024 में इसरो सभी को हैरान करने की योजना बना रहा है. इसरो अंतरिक्ष में एक्स-रे स्रोतों के तीव्र ध्रुवीकरण की जांच के लिए पहले एक्स-रे पोलारिमीटर उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ नए साल की शुरुआत करने के लिए तैयार है.
यह है दुनिया का दूसरा मिशन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, XPoSaT को 1 जनवरी 2024 को लॉन्च किया जाएगा. यह भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है. इसरो ने घोषणा की है कि XPoSaT मिशन ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान का उपयोग करके सुबह 9:10 बजे लॉन्च होगा.माना जा रहा है कि यह मिशन इसरो के लिए बेहद अहम है और इस मिशन को सफल बनाने के लिए इसरो ने दिन-रात मेहनत की है. खगोलीय स्रोतों द्वारा एक्स-रे की पोलारिमेट्री ने खगोलविदों के बीच बहुत रुचि पैदा की है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह मिशन न केवल भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है, बल्कि नासा के लिए साल 2021 में लॉन्च किए गए इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर के बाद दुनिया का दूसरा मिशन है.
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इसरो के लिए क्यों जरुरी है ये मिशन?
जब गभग 650 किलोमीटर की निचली पृथ्वी कक्षा में लियो स्थापित हो जाएगा, तो यह अगले पांच वर्षों के लिए डेटा देगा. उपग्रह में दो मुख्य पेलोड होंगे, एक बेंगलुरु स्थित रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट आरआरआई द्वारा विकसित किया गया है और दूसरा इसरो के यू ए राव सैटेलाइट सेंटर, इसरो द्वारा तैयार किया गया है.अब सवाल यह है कि यह मिशन महत्वपूर्ण क्यों है? ऐसे मिशन ब्रह्मांड की कुछ सबसे दिलचस्प घटनाओं, जैसे सुपरनोवा विस्फोट के आसपास के रहस्यों को उजागर करने में भी सहायक होते हैं.ऐसे में इसरो अपने इस मिशन के जरिए कई इस तरह की घटनाओं से पर्दा उठाना चाहता है.
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Source : News Nation Bureau