भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर कीर्तिमान रच दिया है. अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा सोमवार को की गई घोषणा के मुताबिक, इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) ने शून्य कक्षीय मलबा मिशन (Zero Orbital Debris Mission) पूरा कर लिया है. बीते 21 मार्च को पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल-3 (POEM-3) के पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश कर अपने "उग्र अंत" को पूरा करने के साथ ही ये उपलब्धि हासिल की है. चलिए इस पूरे मिशन के बारे में विस्तार से जानते हैं.
गौरतलब है कि, PSLV-C58 मिशन 1 सभी सैटेलाइट को उनकी वांछित कक्षाओं में स्थापित करने के बाद 1 जनवरी, 2024 को पूरा हुआ था. इसके बाद पीएसएलवी के टर्मिनल चरण को 3-अक्ष स्थिर प्लेटफॉर्म, पीओईएम-3 में बदल दिया गया. फिर पूर्व पुनः प्रवेश के लिए स्टेज को 650 किमी से 350 किमी तक स्थानांतरित कर दिया गया था. इसके बाद फिर किसी भी बचे हुए प्रणोदक को हटाने और आकस्मिक ब्रेक-अप के जोखिम को कम करने के लिए इसे निष्क्रिय कर दिया गया.
मिशन उद्देश्य एक महीने में पूरे हो गए
इसरो ने बयान जारी करते हुए कहा कि, POEM-3 को नव विकसित स्वदेशी प्रणालियों पर प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए कुल 9 विभिन्न प्रयोगात्मक पेलोड के साथ कॉन्फ़िगर किया गया था. इनमें से 6 पेलोड NGEs द्वारा IN-SPACe के माध्यम से वितरित किए गए थे, जिनके मिशन उद्देश्य एक महीने में पूरे हो गए.
अंतरिक्ष यान संचालन टीम ने ISTRAC में मिशन संचालन परिसर (MOX) से पेलोड संचालन को प्रभावी ढंग से अंजाम दिया. सुरक्षित और टिकाऊ अंतरिक्ष यान संचालन प्रबंधन (IS4OM) के लिए इसरो की प्रणाली ने पूरे कक्षीय क्षय की निगरानी और विश्लेषण किया. पुन: प्रवेश के करीब आने तक, ISTRAC ग्राउंड स्टेशनों ने POEM-3 को ट्रैक किया, और श्रीहरिकोटा में मल्टी-ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग रडार (MOTR) ने भी 21 मार्च की सुबह तक PS4 चरण को ट्रैक किया. इसके अतिरिक्त, POEM-3 को यूआरएससी, एलपीएससी और आईआईएसयू जैसे अन्य केंद्रों से समर्थन प्राप्त हुआ.
Source : News Nation Bureau