भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), जो मानव मिशन गगनयान सहित अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने के लिए जाना जाता है, अब मानवयुक्त मिशन के लिए समुद्र की 6,000 मीटर गहराई में एक विशेष क्षेत्र के निर्माण में मदद कर रहा है. संसद को गुरुवार को यह जानकारी दी गई. सरकार द्वारा शुरू किए गए 'डीप ओशन मिशन' के तहत, गहरे समुद्र की खोज के लिए एक मानवयुक्त वैज्ञानिक पनडुब्बी विकसित करने का प्रस्ताव किया गया है और इस परियोजना का नाम 'समुद्रयान' रखा गया है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान ने पहले 500 मीटर पानी की गहराई रेटिंग के लिए एक मानवयुक्त पनडुब्बी प्रणाली के लिए 'कार्मिक क्षेत्र' विकसित किया था. उन्होंने कहा अक्टूबर 2021 के दौरान अनुसंधान पोत सागर निधि का उपयोग किया गया. बंगाल की खाड़ी में हल्के स्टील का उपयोग कर 500 मीटर पानी की गहराई तक क्रू मॉड्यूल के रूप में उपयोग किए जाने वाले 2.1 मीटर व्यास के कर्मियों के क्षेत्र को विकसित किया गया है और 600 मीटर पानी की गहराई तक परीक्षण किया गया है.
उन्होंने कहा, 6,000 मीटर पानी की गहराई रेटिंग के लिए मानवयुक्त पनडुब्बी प्रणाली के लिए एक टाइटेनियम मिश्र धातु कर्मियों का क्षेत्र, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, इसरो, तिरुवनंतपुरम के सहयोग से विकसित किया जा रहा है.
HIGHLIGHTS
- समुद्र की 6 हजार मीटर गहराई तक जाएगा यान
- टाइटेनियम मिश्रित धातु से तैयार किया गया यान