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IVF तकनीक से हुआ पहले पुंगनूर नस्ल के बछड़े का जन्म

भारत ने पिछले कई दशकों में स्वदेशी मवेशियों में गिरावट देखी है. अब पशुपालन विभाग स्वदेशी दुर्लभ गोवंश के संरक्षण के लिए मवेशियों के लिए आईवीएफ के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है.

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Nihar Saxena
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आईवीएफ तकनीक कर रही है दुर्लभ गोवंश की नस्लों के संरक्षण में मदद.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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दुनिया में मवेशियों की सबसे छोटी नस्लों में पुंगनूर नस्ल की 500 से भी कम गायें हैं. 2022 इस नस्ल के लिए खुशी लेकर आया है. पुंगनूर नस्ल के पहले आईवीएफ बछड़े का जन्म शनिवार को हुआ है. पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) के अनुसार भारत के पहले पुंगनूर नस्ल के आईवीएफ बछड़े का जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुआ है. मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत डीएएचडी ने एक ऐसी परियोजना शुरू की है जो स्वदेशी मवेशियों के संरक्षण के उद्देश्य से राष्ट्रीय डेयरी उत्पादन को महत्वपूर्ण बढ़ावा देने की क्षमता रखती है.

स्वदेशी गोवंश के दूध में होता है उच्च पोषण
एक अधिकारी ने कहा कि स्वदेशी मवेशियों के दूध में बीमारियों से लड़ने के लिए उच्च पोषण होता है. कई कारणों से भारत ने पिछले कई दशकों में स्वदेशी मवेशियों में गिरावट देखी है. अब पशुपालन विभाग स्वदेशी दुर्लभ गोवंश के संरक्षण के लिए मवेशियों के लिए आईवीएफ के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है. डीएएचडी बन्नी, थारपाकर और ओंगोल नस्लों के लिए भी इसी तरह के प्रयास कर रहा है.

कई दुर्लभ नस्ल के बछड़े किए गए आईवीएफ की मदद से पैदा
इससे पहले अक्टूबर में भारत की पहली बन्नी भैंस का आईवीएफ बछड़ा गुजरात के सोमनाथ जिले में पैदा हुआ था, जबकि राजस्थान के सूरतगढ़ में आईवीएफ तकनीक के माध्यम से थारपाकर नस्ल की पहली मादा बछड़े का जन्म दर्ज किया गया था. 

HIGHLIGHTS

  • स्वदेशी मवेशियों का दूध है उच्च पोषण से भरपूर
  • अब दुर्लभ गोवंश को संरक्षण दे रही आईवीएफ तकनीक
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