सोशल मीडिया पर इसरो चीफ के सिवन के नाम चल रहे जितने भी अकाउंट हैं, वो सभी फर्जी हैं. इसरो के अध्यक्ष डॉ के सिवन ने खुद कहा है कि उनका कोई व्यक्तिगत खाता किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नहीं है। बता दें फेसबुक पर के सिवन के नाम से एक पेज है, जो उनका नहीं है. उन्होंने इसरो की वेबसाइट पर कहा है कि कोई भी प्रमाणिक जानकारी के लिए केवल इसरो के आफिशियल अकाउंट से ही लें.
It is noticed that accounts in the name of Kailasavadivoo Sivan is operational on many Social media. This is to clarify that Dr. K Sivan, Chairman, ISRO does not have any personal accounts.
For official accounts of ISRO, please see https://t.co/DKhLvUwK1P
— ISRO (@isro) September 9, 2019
इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने यह जानकारी शेयर करते हुए कहा है कि किसी भी तरह की जानकारी के लिए नीचे दिए गए 3 लिंक पर क्लिक करके जान सकते हैं.
गरीब किसान के घर पैदा हुए के. सिवन ने कैसे अद्भुत कामयाबियों भरा ये सफर तय किया?
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तमिलनाडु के तटीय जिले कन्याकुमारी के सराकल्लविलाई गांव में खेतिहर किसान कैलाशवडीवू और चेल्लम के घर 14 अप्रैल 1957 को के. सिवन का जन्म हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल में तमिल माध्यम से हुई. सिवन पढ़ाई में अच्छे थे. अत: पिता और परिवार के अन्य लोगों ने उन्हें प्रोत्साहित किया. गरीबी के बाद भी सिवन ने नागेरकोयल के एसटी हिंदू कॉलेज से बीएससी (गणित) की पढ़ाई 100 प्रतिशत अंकों के साथ पूरी की. स्नातक करने वाले वे परिवार के पहले सदस्य थे. सिवन ने 1980 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की. इसके बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज (आइआइएससी) से इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर के बाद 2006 में उन्होंने आइआइटी बांबे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की.
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सिवन 1982 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़ गए. उन्होंने पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) परियोजना में योगदान देना शुरू किया. अप्रैल 2011 में वह जीएसएलवी के परियोजना निदेशक बने. सिवन के योगदान को देखते हुए जुलाई 2014 में उन्हें इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर का निदेशक नियुक्त किया गया. एक जून, 2015 को उन्हें विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) का निदेशक नियुक्त किया गया. 15 जनवरी, 2018 को सिवन ने इसरो के मुखिया का पद्भार संभाला.
के. सिवन ने 15 फरवरी 2017 को भारत द्वारा एक साथ 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में अहम भूमिका निभाई. यह इसरो का विश्व रिकॉर्ड भी है. 15 जुलाई, 2019 को जब चंद्रयान-2 अपने मिशन के लिए उड़ान भरने ही वाला था कि कुछ घंटों पहले तकनीकी कारणों से इसे रोकना पड़ा. इसके बाद सिवन ने एक उच्चस्तरीय टीम बनाई, ताकि दिक्कत का पता लगाया जा सके और इसे 24 घंटे के अंदर ठीक कर दिया गया.
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खाली समय में सिवन तमिल क्लासिकल संगीत सुनना पसंद करते हैं. उन्हें बागवानी करना भी पसंद है. उनकी पसंदीदा फिल्म राजेश खन्ना अभिनीत आराधना (1969) है. उन्होंने एक बार पत्रकारों से कहा था कि जब मैं वीएसएससी का निदेशक था तब मैंने तिरुवनंतपुरम स्थित अपने घर के बगीचे में कई तरह के गुलाब उगाए थे.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो