एक समय था जब हम चांद को दूर से देखा करते थे. किसी इंसान ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन हम सब चांद पर कदम रखेंगे. लेकिन समय का पहिया घूमा और इंसान ने तेजी से विज्ञान में महारत हासिल कर ली. आज इसका उदाहरण यह है कि मनुष्य ने चंद्रमा पर कदम रखा और उस कदम के साथ ही चांद पर मनुष्य की नींव पड़ गई. अब इस चांद पर अमेरिका, रूस, चीन और भारत समेत कई देशों की नजर है. इसी कड़ी में हर देश चांद पर कुछ न कुछ प्रयोग करने में लगा हुआ है.
चांद पर बनने जा रहा है लाइट हाउस
हाल ही में आपने देखा कि भारत ने चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. यानी आने वाले भविष्य में इस चंद्रमा को एक बड़े आर्थिक केंद्र के रूप में देखा जा रहा है, जिसके कारण हर देश की नजरें चांद पर टिकी हुई हैं.इन सभी देशों में अमेरिका काफी आगे है, वह चांद पर प्रयोग कर लोगों को हैरान करता रहता है. उदाहरण के तौर पर एक बार फिर अमेरिका ने चंद्रमा पर लाइट हाउस बनाने की योजना बनाई है. अमेरिकी कंपनी हनीबी रोबोटिक्स ने चंद्रमा पर लाइट हाउस बनाने का प्रस्ताव डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी DARPA को दिया है.
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आखिर ये कितना लंबा बनेगा लाइट हाउस
अगर चांद पर ये लाइट हाउस बनता है तो चांद की ईकोनॉमी के लिए एक बुस्टर डोज साबित हो सकता है. वहीं, लाइट हाउस की प्लानिंग को लूनाबेसर कहा जा रहा है. जो लूनार यूटिलिटी नेवीगेशन विद एडवांस रिमोट सेंसिंग एंड ऑटोनोमस बीमिंग फॉर एनर्जी,रीडिस्ट्रीब्यूशन का छोटा रूप है. जानकारी के मुताबिक, इस टावर की लंबाई 100 मीटर तक होगा, जिसके टॉप पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे, जिसे ऊर्जा पैदा करने के बाद स्टोर किया जाएगा.
अब तक नासा को क्या मिला?
ऐसा माना जा रहा था कि चंद्रमा के ध्रुव के शीर्ष पर हमेशा रोशनी रहती है, जहां लाइट हाउस बनाने के बाद लगातार सूर्य की रोशनी मिलती रहेगी, जिससे लगातार ऊर्जा पैदा होता रहेगा, लेकिन जब नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर ने चंद्रमा का नक्शा बनाया तो पता चला कि चंद्रमा के ध्रुवों के पास भी एक भी जगह ऐसी नहीं है जहां पूरे साल सूरज की रोशनी मिलती हो यानी नासा ने जो सोचा फिलहाल ऐसा कुछ होते हुए हीं नहीं दिखाई दे रहा है. अब देखना होगा कि लाइट हाउस लेकर नासा क्या अगला प्लान क्या होता है.
Source : News Nation Bureau