सावन का महीना चल रहा है और देश शिव भक्ति में पूरी तरह से डूब चुका है. हर तरफ हर-हर महादेव और नम: शिवाय का मंत्र ही सुनाई दे रहा है. गली से लेकर सड़क तक जहां भी नजर घुमाएंगे आपको हर तरफ कावरियों की ही भीड़ दिखाई देगी. सावन के इस शिवमय मौसम में हर साल एक बात सुनने में आ ही जाती है, वो ये कि देश में कहीं न कहीं मूर्तियों या नंदी के दूध पी रहे हैं या इस मंदिर का नंदी दूध पीने लगा.
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जरा एक मिनट के लिए रुकिये और सोचिए क्या कोई मूर्ति पानी या दूध पी सकती है क्या? लेकिन सोशल मीडिया पर तो इस तरह की चीजों की भरमार ही है. जब भी हम सोशल मीडिया या टीवी पर ऐसी कोई खबर देखते हैं तो खुश हो जाते हैं और दिल में भक्ति का भाव और भी ज्यादा मजबुत हो जाता है. तो आईये आज जान ही लेते हैं कि कैसे ये मूर्तियां कैसे पानी या दूध पी लेती हैं.
ये होता है साइंटिफिक कारण
-दरअसल ये चमत्कार जो आप सोशल मीडिया या टीवी पर जो शो देखते हैं वो चमत्कार विज्ञान का है. सर्फेस टेंशन या प्रष्ठ तनाव के कारण ये चीजें होती है.
-मूर्तियों में तमाम पोर्स या छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिससे लिक्विड अंदर की ओर सक हो जाता है.
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-इन सकिंग पोर्स के पास कोई भी लिक्विड या दूध जब लाया जाता है तो वो इन्ही पोर्स से होता हुआ मूर्ति के अंदर चला जाता है और हम ये कहते हैं कि मूर्ति दूध हो रही है.
-ध्यान देने योग्य बात ये है कि सावन के पहले भयंकर गर्मी पड़ती है और जब पानी पड़ता है तो ये वैक्युम पोर्स या सकिंग पोर्स एक्टिव हो जाते हैं.
देश के यूपी और बिहार जैसे राज्यों से लगभग हर साल ये ही खबरें आती रहती हैं. इस साल भी सीतामढ़ी सुरसंड पथ के मोहनपुर चौक स्थित मंदिर में शिव व नंदी की मूर्ति के दूध पीने की बात पर मंदिर के पास हजारों लोगों की भीड़ जुट गई. जिसके बाद बेकाबू भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करना पड़ा.
हालांकि ये बातें भी अफवाह ही निकलीं. मंदिर के पुजारी ने खुद ये कंफर्म किया कि नंदी दूध पी रहा है इस तरह की अफवाह फैल गई थी जिसके कारण शिव भक्तों की भारी भीड़ वहां जुटी थी.
HIGHLIGHTS
- सावन का महीना चल रहा है और देश शिव भक्ति में पूरी तरह से डूब चुका है.
- इस समय में ये बात आम हो जाती है कि इस मंदिर का नंदी दूध पी रहा है.
- दरअसल ये चमत्कार नहीं बल्कि सर्फेस टेंशन की वजह से होता है.