ईवीएम और वीवीपैट की कार्यप्रणाली को लेकर विपक्ष समय-समय पर सवाल उठाता रहा है. बैलेट पेपर का इस्तेमाल भी चुनाव में व्यापक तौर पर कर पाना आसान नहीं है. ऐसे में माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सत्या नडेला ने ऐलान किया है कि उनकी कंपनी एक ऐसे सॉफ्टवेयर पर काम कर रही है जिसके माध्यम से सही तरीके से वोटिंग को रिकॉर्ड कर पाना आसान हो जाएगा.
इस नई प्रणाली में बैलेट पेपर की जगह यूनीक कोड वाला इनक्रिप्टेड बैलेट का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके जरिए वोटर को यह जानकारी हो सकेगी कि उन्होंने किसे वोट डाला और उनका वोट किसे गया है. इसे कभी भी ट्रैक किया जा सकेगा.
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इलेक्शन गॉर्ड से वोटिगं पर रखी जाएगी नजर
भारतीय मूल के सत्या नडेला ने सोमवार रात को डेवलेपर कॉन्फ्रेंस में घोषणा करते हुए कहा कि माइक्रोसॉफ्ट ने इस सॉफ्टवेयर का नाम 'इलेक्शन गॉर्ड' रखा है. ऐसा माना जा रहा है कि 2020 में होने वाले अमेरिकन आम चुनावों में इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाएगा.
माइक्रोसॉफ्ट ने दावा किया है कि इस सॉफ्टवेयर के जरिेए चुनावों न केवल तकनीकि स्तर पर सही होंगे बल्कि वोटर्स को इस बात की जानकारी हो सकेगी कि उनका वोट सही तरीके से गया है या नहीं.
अमेरिका में भी वोटिंग पर सवाल
अमेरिका में चुनाव में धांधली के आरोप लगते रहे हैं. 2016 में हुए अमेरिकन चुनावों में ट्रंप पर भी धांधली के आरोप लगे थे. अब माइक्रोसॉफ्ट के इस पहल के बाद अगर चुनावों में इसका इस्तेमाल व्यापक तौर पर होता है तो चुनावों की पारदर्शिता बढ़ने के संकेत हैं.
इस सॉफ्टवेयर के जरिए चुनाव संदेहास्पद होने पर कम वक्त में फिर से मतदान भी कराया जा सकता है. खास बात यह है कि बैलेट और ईवीएम मशीन को इस सॉफ्टवेयर के जरिए ट्रैक भी किया जा सकेगा. आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के जरिए सही तरीके से चुनाव पर नजर रखी जा सकेगी.
भारत में भी उठते रहे हैं सवाल
लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे जब आए, विपक्षी पार्टियों ने दावा किया कि ईवीएम में गड़बड़ी बरती गई है. जब यह मामला शांत हुआ तो फिर राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी सवाल खड़े किए गए. इससे पहले भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने भी 2009 के लोकसभा चुनावों में ईवीएम पर सवाल खड़े किए थे. लोकसभा चुनाव 2019 के पांचवे चरण का मतदान संपन्न हो गया है. इस चुनाव में भी ईवीएम पर सवाल उठाए जा रहे हैं. ऐसे में अगर यह सॉफ्टवेयर भारत में भी लॉन्च होता है तो चुनाव आयोग को काफी मदद मिल सकती है.
Source : News Nation Bureau