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4.24 प्रकाशवर्ष का सफर तय कर पृथ्वी तक पहुंची रहस्यमयी तरंगे, क्या एलियंस ने भेजी

ग्रह की ओर से आए ये संकेत ऑस्ट्रेलिया के पार्क्स ऑब्जर्वेटरी ने अप्रैल और मई 2019 के दौरान पकड़े थे. वे तरंगें काफी धीमी थीं.

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Nihar Saxena
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Proxima Centauri

4.24 प्रकाश वर्ष दूर से पृथ्वी तक पहुंची रहस्यमयी तरंगे.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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अगर साल 2020 कोरोना महामारी के लिए याद रखा जाएगा, तो इसके लिए भी याद रखा जाएगा कि मानवता को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भी कई बड़ी सफलताएं मिलीं. भले ही वह चीन का चांद से मिट्टी लाने का मिशन हो या ग्रहों पर पानी दिखना जैसी बातों के अलावा अंतरिक्ष विज्ञानी एलियन से भी संपर्क की कोशिशों में लगे हैं. उनके इस प्रयासों को एक बड़ी सफलता मिली है. सुदूर ब्रह्मांड में स्थित एक तारे प्रॉक्सिमा सेंचुरी से रहस्यमयी रेडियो तरंगें मिली हैं. इसक लेकर अंतरक्ष विज्ञानी खासे उत्साहित हैं.

प्रॉक्सिमा सेंचुरी नामक तारे से आई तरंगों के बारे में रेडियो खगोलविद फिलहाल यही मान रहे हैं कि उन्होंने पहले कभी ऐसी तरंग महसूस नहीं की थी और ये पारलौकिक तरंगें ही हैं. प्रॉक्सिमा सेंचुरी सूरज के सबसे करीब का तारा धरती से केवल 4.24 प्रकाशवर्ष की दूरी पर है. ये अपने-आप में तीन तारों का समूह का हिस्सा है, जिसे अल्फा-सेंचुरी कहते हैं. प्रॉक्सिमा के बारे में अब तक अंतरिक्ष विज्ञानियों के पास थोड़ी-बहुत जानकारी है. इसके अनुसार इस तारे पर कम से कम दो ग्रह हैं. इन ग्रहों में से एक पृथ्वी से थोड़ा बड़ा है और काफी चट्टानों वाला ग्रह है. अनुमान है कि इस ग्रह पर तापमान ऐसा होगा कि पानी और जीवन हो सकता है.

ग्रह की ओर से आए ये संकेत ऑस्ट्रेलिया के पार्क्स ऑब्जर्वेटरी ने अप्रैल और मई 2019 के दौरान पकड़े थे. वे तरंगें काफी धीमी थीं. खगोलविदों के मुताबिक ये लगभग 982.02 मेगाहर्ट्ज के आसपास रही होंगी. तरंगों को वैज्ञानिक रहस्यमयी इसलिए मान रहे हैं कि आमतौर पर तारे के भीतर बड़े विस्फोट होने या किसी तूफान से भारी तरंगें पैदा होती हैं. वहीं ये तरंगें काफी सूक्ष्म और अलग थीं. हालांकि इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता कि असल में क्या है. बर्कले यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को भी यही लग रहा है कि ये तरंग अलग तरह की है. यहां तक कि वे इसे इंसानों की किसी गतिविधि के कारण पैदा होने वाली तरंग तक मान रहे हैं, जो दूसरे ग्रह से आ रही हैं.

हालांकि ये पक्का नहीं कि दूसरे ग्रह से मिले अजीब संदेश वाकई में मानवजन्य हों, बल्कि ये कोई तकनीकी चीज भी हो सकती है. इससे पहले भी ऐसा हो चुका है. ये कोई सीक्रेट मिलिट्री प्रयोग भी हो सकता है, जैसा पहले भी हुआ है. इसके बाद भी प्रॉक्सिमा से आ रहे इस संकेत को लेकर वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि ये कुछ और ही हो. इसकी कई वजहें भी हैं. जैसे पिछले साल 29 अप्रैल को पहली बार ये आवाज लगभग 30 मिनट के अंतराल पर पांच बार आई. ये अलग आवाज थी, जो कंप्यूटर या तकनीकी आवाज से एकदम अलग थी.

फिलहाल तक ये रिपोर्ट प्रकाशित नहीं हुई है और तरंगों को देखने वाले शोधार्थी ज्यादा शोध के बाद साल के शुरुआती महीनों में ये कर सकते हैं. वे बार-बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि पृथ्वी से लगभग सवा गुना वजनी ग्रह, जो प्रॉक्सिमा सेंचुरी पर मौजूद है, वहां पानी हो सकता है और पानी का मतलब है जीवन का होना. तो हो सकता है कि वहां से ही हमें जीवन के संकेत रेडियो वेव के जरिए मिल रहे हों.

Source : News Nation Bureau

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