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चंद्रमा की सतह पर मिला पानी, नासा ने की पुष्टि

आखिरकार वैज्ञानिकों ने चांद पर पानी की खोज कर ही ली है. पहली बार वैज्ञानिकों ने सूर्य से प्रकाशित चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि की है.

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Dalchand Kumar
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चंद्रमा की सतह पर मिला पानी, नासा ने की पुष्टि( Photo Credit : फ़ाइल फोटो)

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आखिरकार वैज्ञानिकों ने चांद पर पानी की खोज कर ही ली है. पहली बार वैज्ञानिकों ने सूर्य से प्रकाशित चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि की है. अमेरिकी स्पेस रिसर्च एजेंसी नासा ने कहा है कि उसने पहली बार चंद्रमा की सतह पर पानी के निशान पाए हैं. यह खोज नासा और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर की संयुक्त परियोजना इन्फ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (एसओएफआईए-सोफिया) के लिए स्ट्रैटोस्फेरिक वेधशाला का उपयोग करके की गई है.

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अमेरिका के हवाई विश्वविद्यालय समेत अन्य संस्थानों के अनुसंधानकर्ताओं ने नासा की स्ट्रेटोस्फीयरिक ऑब्जर्वेटरी फॉर इन्फ्रारेड एस्ट्रोनोमी (सोफिया) के डेटा का इस्तेमाल करते हुए क्लेवियस क्रेटर में पानी के अणुओं (एच2ओ) का पता लगाया है. यह क्रेटर चंद्रमा पर स्थित सबसे बड़े गड्ढों में से एक है और उसके दक्षिणी गोलार्द्ध पर स्थित है. इसे पृथ्वी से देखा जा सकता है. यह खोज इस ओर इशारा करती है कि चंद्रमा की सतह पर हर जगह पानी के अणु हो सकते हैं और ये केवल ठंडी तथा छायादार जगहों पर ही नहीं होते जैसा कि पहले समझा जाता था.

नासा के एडमिनिस्ट्रेटर जिम ब्रिडेनस्टाइन ने ट्वीट किया, 'हमने पहली बार सोफिया टेलिस्कोप का इस्तेमाल कर चंद्रमा की उस सतह पर पानी की पुष्टि की है जहां सूरज की किरण पड़ती है. नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित परिणामों से पता चलता है कि पानी या तो छोटे उल्कापिंड के प्रभाव से बना है या सूर्य से निकले ऊर्जा के कणों से पैदा हुआ है. इससे पता चलता है कि पानी चंद्रमा के ठंडे क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है और इसे चांद की पूरी सतह पर पाया जा सकता है.'

ब्रिडेनस्टाइन ने कहा, 'हम अभी तक यह नहीं जानते हैं कि हम इसे एक संसाधन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं, लेकिन चंद्रमा पर पानी के बारे में जानकारी हमारे शोध के लिए काफी महत्वपूर्ण है. सोफिया ने चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित पृथ्वी से दिखाई देने वाले सबसे बड़े क्रेटरों में से एक, क्लेवियस क्रेटर में पानी के अणुओं का पता लगाया है. चंद्रमा की सतह के पिछले अवलोकनों से हाइड्रोजन के कुछ रूप का पता चला था, लेकिन पानी और इसके करीबी रासायनिक पदार्थ के बीच अंतर करने में असफल था.'

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पत्रिका ‘नेचर एस्ट्रोनॉमी’ में प्रकाशित वर्तमान अध्ययन का ब्योरा से पता चलता है कि क्लेवियस क्रेटर क्षेत्र में 100 से 412 भाग प्रति दस लाख की सांद्रता वाला पानी है, जो चंद्रमा की सतह पर फैली धूल के एक घन मीटर आयतन वाले क्षेत्र में है और करीब-करीब 12 औंस की पानी की एक बोतल के बराबर है. अनुसंधानकर्ताओं ने तुलना के तौर पर कहा है कि सोफिया ने चंद्रमा की सतह पर पानी की जितनी मात्रा का पता लगाया है, सहारा रेगिस्तान में उससे सौ गुना ज्यादा पानी है.
इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-1 मिशन के दौरान चंद्रमा की सतह पर किये गये अध्ययन समेत अन्य अध्ययनों में हाइड्रोजन के एक प्रकार का पता लगाया गया था, वहीं नासा के वैज्ञानिकों का कहना था कि पानी और उसके करीबी रासायनिक संबंधी हाइड्रॉक्सिल (ओएच) के बीच फर्क स्पष्ट नहीं हो पाया है. 

Source : News Nation Bureau

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