पहली बार सूर्य को अत्यंत करीब से जानने की कोशिश में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) का मानवीय अभियान 'पार्कर सोलर प्रोब' 11 अगस्त को लांच होगा। इस अभियान के तहत अंतरिक्ष यान के कूच करने से पहले उसकी सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। अंतरिक्ष एजेंसी की ओर से एक बयान में बताया गया कि नासा के पार्कर सोलर प्रोब के लांचिंग पैड के लिए रवाना होने से पहले स्वच्छ कमरे में उसकी अंतिम प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। लांचिंग पैड पर इसे लांच वीकल से जोड़ा जाएगा।
नासा ने इस अभियान को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, 'इससे सूर्य के संबंध में हमारी समझ में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।'
पार्कर सोलर प्रोब सूर्य के अत्यंत निकट के क्षेत्र से गुजरेगा जहां से आज तक कोई अंतरिक्ष यान नहीं गुजर पाया है। इसे सूर्य के ताप और विकरण के भयानक प्रभाव का सामना करना पड़ेगा। आखिरकार यह धरती से सबसे निकट के तारे के अत्यंत करीब के हालात के बारे में जानकारी जुटाएगा।
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सबसे बड़े ऑपरेशनल लांच वीकल का इस्तेमाल होने के अलावा डेल्टा-4 हैवी, पार्कर सोलर प्रोब सूर्य के करीब पहुंचने के लिए जरूरी तीसरे चरण के रॉकेट का उपयोग करेगा। इसमें मंगलग्रह पर जाने में खपत होने वाली ऊर्जा की तुलना में 55 गुना ज्यादा ऊर्जा की खपत होगी।
क्या है उद्देश्य
नासा के मिशन का उद्देश्य कोरोना के पृथ्वी की सतह पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करना है। स्पेसक्राफ्ट के जरिये कोरोना की तस्वीरें ली जाएंगी और सतह का मापन किया जाएगा। मिशन की सफलता के लिए बीती 30 जुलाई को केप केनवेरल एयर फोर्स स्टेशन पर स्पेसक्राफ्ट की पूरी जांच की गई। इसके बाद इसे लांच व्हीकल पर रखा गया।
क्या है 'पार्कर सोलर प्रोब' खासियत
1- इस अंतरिक्षयान का आकार एक छोटे कार जितना है।
2-इस मिशन की लागत करीब दस हजार करोड़ रुपये है।
3-यह प्रोब सूर्य की सतह से 60-10 लाख किमी दूर कोरोना में करीब सात साल परिक्रमा करेगा।
Source : News Nation Bureau