नासा (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के कासिनी अंतरिक्षयान ने आखिरकार इस गुत्थी को सुलझा लिया है कि शनिग्रह पर कितने घंटे का दिन होता है. नासा ने सौरमंडल विज्ञान की इस गुत्थी को सुलझाते हुए बताया कि शनिग्रह पर सिर्फ साढ़े 10 घंटे से अधिक का दिन होता है. कैसिनी मिशन अब वजूद में नहीं है, लेकिन उससे प्राप्त नए डेटा का उपयोग करके यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया-शांता क्रूज की अगुवाई में वैज्ञानिकों ने बताया कि शनिग्रह पर एक साल पृथ्वी के 29 साल के बराबर होता है. लेकिन दिन सिर्फ 10 घंटे 33 मिनट और 38 सेकंड का होता है.
लोग अब तक इस तथ्य से अनजान थे, क्योंकि यह छल्ले में छिपा हुआ था. विश्वविद्यालय में खगोल विज्ञान के छात्र क्रिस्टोफर मैंकोविज ने छल्ले के भीतर की तरंग के पैटर्न का विश्लेषण किया.
नतीजों में पाया गया कि खुद ग्रह के भीतर होने वाले कंपन से उसमें उसी तरह की प्रतिक्रिया मिलती है, जिस प्रकार की प्रतिक्रिया भूकंप की माप के लिए सिस्मोमीटर में मिलती है.
शनिग्रह के भीतर लगातार कंपन होता है, जिससे उसके गुरुत्वाकर्षण में बदलाव होता है. छल्ले से उस गति का पता चलता है.
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मैंकोविच ने बताया, 'छल्ले में किसी खास स्थान पर यह दोलन छल्ले के कण को आकर्षित करता है, जिससे कक्षा में सही समय पर ऊर्जा का निर्माण होता है.'
मैंकोविच का यह शोध एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ हुआ है. शोध में शनिग्रह के आंतरिक मॉडल के बारे में बताया गया, जो छल्ले के तरंग की तरह है. इससे उनको ग्रह की आंतरिक गतिविधि और घूर्णन के बारे में पता चला है.
Source : IANS