अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के स्पेसक्राफ्ट मार्स रिकॉनसेंस ऑर्बिटर द्वारा ली गई तस्वीरों में हैरान करने वाला खुलासा हुआ है. NASA की नई तस्वीरों में मंगल ग्रह पर 'बर्फ की परतें' दिखाई दी हैं. नासा ने अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया हैंडल पर इन नई तस्वीरों को जारी की हैं. इन तस्वीरों को देखकर ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में जमी बर्फ की याद आती है. इनकी वजह से मंगल ग्रह पर बड़ी-बड़ी झीलें बनीं हैं. नासा ने अपनी साइट पर लिखा है कि जहां पर पानी होता है, वहां पर जीवन होता है. लेकिन यह सिद्धांत सिर्फ धरती पर ही लागू हो रहा है. इसलिए हमारे वैज्ञानिक मंगल ग्रह की सूखी जमीन पर तरल पानी की खोज कर रहे हैं.
नासा ने लिखा है कि अगर जरा सी गर्मी होती है तो बर्फ पिघलकर पानी हो जाता है. लेकिन यह स्थिति ज्यादा देर नहीं रहती. तरल पानी कुछ सेकेंड्स में ही भाप बन जाता है. मंगल ग्रह के वायुमंडल में लापता हो जाता है. साल 2018 में इटली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के साइंटिस्ट रॉबर्टो ओरोसेई ने मंगल ग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर सतह की नीचे बर्फीली झीलें खोजी थीं. उन्होंने इसके सबूत यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर (Mars Express Orbiter) से जुटाए थे.
जेफरी ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि मंगल ग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर पानी या सतह के नीचे बर्फीली झीलें नहीं होंगी. लेकिन चिकनी मिट्टी की थ्योरी को खारिज नहीं किया जा सकता. साल 2015 में मार्स रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (Mars Reconnaissance Orbiter) ने मंगल ग्रह के ऊंचे पहाड़ों से गीली रेत को फिसलते और अपना आकार बदलते देखा था.
रॉबर्टो ओरोसेई और जेफरी प्लॉट ने कहा कि हम दोनों ने मार्स एडवांस्ड रडार फॉर सबसरफेस एंड आयनोस्फेयरिक साउंडिंग (MARSIS) के जरिए दक्षिणी ध्रुव का अध्ययन करना शुरू किया. तब पता चला कि जिसे हम बर्फीली झील मान रहे हैं, हो सकता है वहां पर सिर्फ चिकनी मिट्टी हो. जो हवा के बहाव की वजह से ऐसी आकृति बना लेती है, जो ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका के बर्फ की तरह दिखती है. हालांकि लाल ग्रह पर पानी की खोज करना इतना आसान नहीं है. दूर से देखने और तस्वीरों की जांच करने पर पता चलता है कि मंगल ग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर बहुतायत में बर्फ है.
Source : News Nation Bureau