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गैर-भूकंप प्रतिरोधी इमारतों की रेट्रोफिटिंग के लिए नई तकनीक

शोधकर्ताओं ने पुरानी गैर-भूकंप-प्रतिरोधी भवनों को एक ऐसी तकनीक के साथ रेट्रोफिटिंग करने का एक समाधान खोजा है, जो ऐसी इमारतों को भूकंप से उनकी क्षमता से समझौता किए बिना बड़ी क्षतियों को रोक सकती है. अर्ध-सीमित अप्रतिबंधित ईंट चिनाई या प्रबलित ईंट चिनाई (एससी-यूआरबीएम) में अर्ध-सीमित नामक एक तकनीक भूकंपीय झुकाव वाले क्षेत्रों में बसावट फैलाव की समस्या को हल कर सकती है, जिसमें संरचनाएं शामिल हैं जिनका निर्माण भूकंप रोकथाम भवन कोड का पालन किए बिना किया जाता है.

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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शोधकर्ताओं ने पुरानी गैर-भूकंप-प्रतिरोधी भवनों को एक ऐसी तकनीक के साथ रेट्रोफिटिंग करने का एक समाधान खोजा है, जो ऐसी इमारतों को भूकंप से उनकी क्षमता से समझौता किए बिना बड़ी क्षतियों को रोक सकती है. अर्ध-सीमित अप्रतिबंधित ईंट चिनाई या प्रबलित ईंट चिनाई (एससी-यूआरबीएम) में अर्ध-सीमित नामक एक तकनीक भूकंपीय झुकाव वाले क्षेत्रों में बसावट फैलाव की समस्या को हल कर सकती है, जिसमें संरचनाएं शामिल हैं जिनका निर्माण भूकंप रोकथाम भवन कोड का पालन किए बिना किया जाता है.

ऐतिहासिक रूप से अधिकांश ऐसे भवनों, जिन्हें आधुनिक भवन निर्माण प्रविधियों का उपयोग करके नहीं बनाया गया था, को तकनीकी रूप से अप्रबलित चिनाई (यूआरएम) कहा जाता है. इस प्रकार भूकंप आने के दौरान उन्हें क्षति पहुंचने या उनके ध्वस्त होने की अधिक संभावना होती है. सस्ती और स्थानीय रूप से उपलब्ध निर्माण सामग्री के कारण यूआरएम इमारतों को पारंपरिक रूप से दुनिया भर में व्यापक रूप से अपनाया गया है.

भूकंप की आशंका वाले अधिकांश विकासशील देशों के समान ही भारत के शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अप्रबलित ईंट चिनाई (यूआरबीएम) किया जाना एक सामान्य बात है. यह देखते हुए कि भारत के प्रमुख हिस्से भूकंपीय क्षेत्र- तीन या उससे अधिक के हैं और अधिकांश यूआरबीएम भवन पुराने और संरचनात्मक रूप से कम मजबूत हैं, भूकंप संभावित क्षेत्रों में स्थित यूआरबीएम भवनों को मजबूत करना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया है कि अनरीइनफोस्र्ड ब्रिक मैसनरी- (एससी-यूआरबीएम ) तकनीक के साथ पुरानी इमारतों की रेट्रोफिटिंग किस सीमा तक ऐसी समस्या का समाधान कर सकती है.

उन्होंने पाया कि एससी-यूआरबीएम अपनी क्षमता से समझौता किए बिना पुन: संयोजित भवन की ऊर्जा अपव्यय क्षमता और उसके लचीले पन को काफी बढ़ा सकता है. इसलिए ऐसी इमारतों की भूकंप के दौरान क्षमता का प्रदर्शन यूआरबीएम भवनों की तुलना में बेहतर रहेगा. इस प्रौद्योगिकी की अवधारणा उस एक भूकंप प्रतिरोधी निर्माण प्रणाली की सीमित चिनाई से विकसित हुई, जिसमें जहां चिनाई की दीवारें पहले बनाई जाती हैं, और उसके बाद ही कंक्रीट के कॉलम और बीम दीवार को घेरने (सीमित करने) के लिए डाले जाते हैं. एससी-यूआरबीएम तकनीक की एक ऐसी ही समान अवधारणा है, लेकिन निर्माण के प्रारम्भिक स्तर पर इसे लागू करने की आवश्यकता नहीं है. इसमें दीवार की आंशिक मोटाई के माध्यम से प्रबलित कंक्रीट (आरसी) बैंड को साथ में जोड़ना शामिल है और इसे पुराने भवनों में पुन: संयोजित या रेट्रोफिट किया जा सकता है.

Source : IANS

hindi news New technology non-earthquake resistant buildings
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