अमेरिका के रॉकफेलर यूनिवर्सिटी एक नया शोध चल रहा है जिसके बाद स्किन कैंसर का पता जल्दी लग जाया करेगा। इस तकनीक में इमेजिंग के साथ डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा।
रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के जेम्स क्रूगर ने कहा है कि डर्मेटोलॉजी के क्षेत्र में मानकीकरण की ज़रुरत है ताकि मेलोनामा जैसी बीमारियों के बारे में बेहतर समझदारी बन सके। आम तौर पर स्किन कैंसर की शुरुआत छोटे-छोटे तिलनुमा धब्बों से होती है।
इस नई तकनीक के सहारे इन धब्बों का विस्तृत अध्ययन किया जा सकेगा और मेलोनामा का पता आसानी से लग जाया करेगा। डॉक्टरों की टीम ने कैंसरकारी 60 फोटोग्राफ्स की मदद से इस टूल को विकसित किया है।
क्रूगर ने यह भी कहा कि जितने धब्बों की जांच की जाती हैं, उनमें से महज़ 10 फीसदी ही मेलोनामा यानी स्किन कैंसर के होते हैं। इस रिसर्च को जर्नल ऑफ़ एक्सपेरिमेंटल डर्मेटोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।
Source : News Nation Bureau