टेक्सास विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा टीका विकसित किया है, जो महज तीन दिनों में घातक निपाह वायरस से बचाव कर सकता है।
निपाह एक जूनोटिक वायरस है (जानवरों से मनुष्यों में फैलता है), जो दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे मनुष्यों के बीच स्राव के संपर्क में फैल सकता है। पिछले चार वर्षो में भारत में इस वायरस का प्रकोप तीन बार हुआ था और अब तक इसने लगभग 20 लोगों की जान ले ली है, जिसमें केरल का एक 12 वर्षीय लड़का भी शामिल है।
कोविड की तरह, निपाह वायरस से संक्रमण सांस की बूंदों से फैलता है। लेकिन यह कहीं अधिक घातक है, इससे संक्रमित होने वाले तीन-चौथाई लोगों की मौत हो जाती है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अगली महामारी का कारण बनने वाले वायरस में से एक के रूप में भी सूचीबद्ध किया गया है।
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अफ्रीकी हरे बंदरों को निपाह वायरस के एक स्ट्रेन के संपर्क में आने से लगभग तीन से सात दिन पहले प्रायोगिक जैब से प्रतिरक्षित किया।
जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (पीएनएएस) में प्रकाशित परिणामों से पता चला है कि सभी टीका लगाए गए बंदरों को घातक बीमारी से बचाया गया था, जबकि 67 प्रतिशत जानवरों को वायरस के जोखिम से तीन दिन पहले टीका लगाया गया था, लेकिन उन्हें आंशिक सुरक्षा मिली थी।
विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी विभाग की मेडिकल शाखा में कार्यरत थॉमस डब्ल्यू गिस्बर्ट ने एक आलेख में लिखा है, प्रायोगिक टीका एक सुरक्षित और इम्युनोजेनिक है। यह निपाह वायरस से ग्रस्त बंदरों की रक्षा करने में प्रभावी पाया गया है।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS