बीते शुक्रवार दुनिया के 150 देश रैनसमवेयर वॉनक्राई साइबर अटैक का शिकार हुए। इसके बाद पूरी दुनिया में इस वायरस अटैक का ख़तरा बढ़ गया और इसके आने वाले ख़तरों से सभी लोग सहमें हुए हैं।
इस सायबर अटैक का शिकार भारत भी हुआ था। ख़बरों के मुताबिक वॉनाक्राई साइबर अटैक माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज़ एक्सपी आधारित पुराने ओएस पर चलने वाले सिस्टम्स को अपना शिकार बना रहा है।
इस अटैक में यह आपके कंप्यूटर को हैक कर लेता है और आपकी सारी फाइलें एनक्रिप्टेड हो जाती हैं। अपनी फाइल्स वापस पाने के लिए आपको फिरौती चुकानी पड़ती है और यह फिरौती बिटकॉइन्स में देनी होती है।
फिरौती की रकम चुकाने के बाद ही हैकर्स आपकी फाइल्स को अनलॉक करते है।
रैनसमवेयर वॉनाक्राई ग्लोबल साइबर अटैक पर क्या है भारत का रुख़? क्या है यह और कैसे बचें?
बिटकॉइन क्या है?
बिटकॉइन एक डिजीटल करेंसी है। यह एक वर्चुअल करेंसी इसे देखा या छुआ नहीं जा सकता है। इसे सतोशी नाकामोटो नाम के प्रोग्रामर ने 3 जनवरी 2009 में शुरु किया गया था। इसके लिए कोई सेंट्रलाइज़्ड कंट्रोलिंग नहीं है।
हालांकि सतोशी नाकामोतो कौन हैं इसकी पुष्टि आज तक नहीं हो पाई है। ऐसा माना जाता है कि शुरुआती दौर में बिटकॉइन को डिजीटल करेंसी बनाना नहीं था, जबकि इसका असली मकसद यह साबित करना था कि पैसों का कानूनी लेनदेन बिना थर्ड पार्टी या कानूनी झंझट के भी संभव है।
पहली बार एक पिज्जा खरीदने के लिए 10 हज़ार बिटकॉइन की पेशकश की गई थी और तब इसका इस्तेमाल पहली बार किया गया था। लेकिन समय के साथ इस डिजिटल करेंसी की मांग में बेहद तेज़ी आई है और इसकी कीमत में तब से लगातार तेज़ी आई है।
कैसे करते हैं इसमें निवेश
इसे ऑनलाइन खरीद सकते हैं। इसे खरीदते ही यह आपके एकाउंट में ऑनलाइन स्टोर हो जाएगा। इसे खरीदने पर कोई सिक्का या नोट जैसी चीज या दस्तावेज नहीं मिलेंगे बल्कि एक कोडिंग मिलेगी। यह कोडिंग ही बिटकॉइन है।
बिटकॉइन की वैल्यु
पांच साल पहले इसकी कीमत सिर्फ 6 रुपये थी लेकिन आज इसकी कीमत 650 डॉलर (करीब 42 हज़ार रुपये) हैं। सरकारी नियंत्रण न होने के चलते इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। एक बार इसकी कीमत 1200 डॉलर तक भी पहुंची थी।
वैल्यु घटने बढ़ने पर निवेशक का निजी रिस्क होता है।
ख़ास बातें
1. कमोडिटी भी खरीद सकते हैं।
2. बिटकॉइन्स को माइन किया जा सकता है। मतलब नए कॉइन्स बना सकते हैं।
3. लेकिन इसे माइन करने की सीमा पहले से तय है। निर्धारित प्रोग्राम के मुताबिक सिर्फ 21 बिलियन बिटकॉइन ही माइन किए जा सकते हैं।
4. माइन करने वाले बेहत ताकतवर कंप्यूटर्स के साथ इसकी माइनिंग करते हैं और हरेक ट्रांजेक्शन पर नज़र रखते हैं।
5. वन टू वन ट्रेड (दो लोगों के बीच कारोबार) हो सकता है।
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6. एकाउंट फ्रीज़ नहीं हो सकता
7. बिटकॉइन के साथ पायरेसी या छेड़छाड़ संभव नहीं
8. सतोशी नाकामोतो के प्रोग्राम के तह्त बिटकॉइन आम लोगों के बीच बटे चेन सिस्टम के ज़रिए ट्रेड होता है।
9. बिटकॉइन के हरेक ट्रांजेक्शन की जानकारी ब्लॉक चेन के ज़रिए की जाती है।
10. दुनिया मे कहीं भी कभी भी बिटकॉइन के ट्रडिंग की जानकारी ब्लॉकचेन में बंटी होती है।
'भविष्य की करेंसी'
सामान खरीदने के लिए पूरा बिटकॉइन खरीदने की ज़रुरत नहीं। चाहें तो एक बिटकॉइन का कुछ अंश बेच कर खरीददारी कर सकते हैं। कई देशों में बिटकॉइन इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है।
क्योंकि इसे एक निश्चित सीमा तक ही माइन कर सकते हैं ऐसे में इसकी मांग के साथ ही इसकी कीमत भी बढ़ जाती है। इसका सभी इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसकी ट्रांजेक्शन ट्रांसपेरेंट होती है। इसके ट्रांजेक्शन के साथ हर जानकारी मिलती है। ट्रेड के साथ एक क्लीन एकाउंट शीट मिलती है जिसमें बिटकॉइन की पूरी हिस्ट्री मिलती है। कोई भी ग्राहक एक बिटकॉइन का दोबारा इस्तेमाल नहीं कर सकता।
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बिटकॉइन का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल रेमिटेंस के तौर पर होता है। भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा रेमिटेंस लेने वाला देश है। रेमिटेंस उस रकम को कहते है जो विदेशों में काम करने वाले लोग अपने देश में भेजते हैं।
बिटकॉइन के इस्तेमाल से जुड़े ख़तरें
एनक्रिप्टेड होने की वजह से कई आपराधिक तत्व के लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके चलते कई देश यह तय नहीं कर पाए हैं कि इसका इस्तेमाल किया जाए या नहीं।
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Source : Shivani Bansal