बिना RT-PCR या एंटीजन मिनटों में कोरोना टेस्ट, क्या है AI आधारित X-ray

स्कॉटलैंड के रिसर्चर्स द्वारा विकसित यह एक्स-रे तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI पर आधारित है. इस तकनीक से कुछ ही मिनटों में किसी व्यक्ति को कोरोना संक्रमण होने का पता चल जाएगा.

author-image
Keshav Kumar
New Update
X-ray

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित नई एक्सरे तकनीक( Photo Credit : File Photo)

Advertisment

बिना RT-PCR टेस्ट या रैपिड एंटीजन टेस्ट किए भी कोरोनावायरस के संक्रमण की मिनटों में सटीक जांच की जा सकती है. यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट स्कॉटलैंड (UWS) के वैज्ञानिकों प्रोफेसर नईम रमजान, गेब्रियल ओकोलो और डॉ स्टामोस कैट्सिगियनिस द्वारा विकसित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित नई एक्सरे तकनीक ने इसे संभव बना दिया है. दुनिया के कई देशों में कोरोना से मुकाबले के लिए अभी भी  RT-PCR टेस्ट की कमी है. ये नई तकनीक उन देशों के लिए बड़ी मददगार साबित हो सकती है.

नई एक्स-रे टेक्नोलॉजी से ये पता लग जाएगा कि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं. अब तक किसी इंसान में कोरोनावायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए रैपिड एंटीजन या RT-PCR टेस्ट का सहारा लिया जाता है. मौजूदा RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट आने में कम से कम 2 घंटे लगते हैं.  जल्द कोरोना डिटेक्ट होने से मरीजों के इलाज में मदद मिलेगी. आइए, जानते हैं कि कोरोना जांच करने वाली नई एक्स-रे तकनीक क्या है? कैसे काम करती है और क्या ये तकनीक RT-PCR की जगह ले सकती है?

98 फीसदी सटीक रिजल्ट देती है नई एक्सरे तकनीक

स्कॉटलैंड के रिसर्चर्स द्वारा विकसित यह एक्स-रे तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI पर आधारित है. इस तकनीक से कुछ ही मिनटों में किसी व्यक्ति को कोरोना संक्रमण होने का पता चल जाएगा. UWS के रिसर्चर्स के मुताबिक इस नई तकनीक में कोरोना संक्रमित मरीजों, स्वस्थ व्यक्तियों और वायरल निमोनिया से पीड़ित लोगों के करीब 3 हजार एक्स-रे इमेज का डेटाबेस होता है. AI-आधारित एक्स-रे से इन सभी इमेज के स्कैन यानी बेहद बारीकी से हुई जांच की तुलना की जाती है. इसके बाद एक 'डीप कन्वेन्शनल न्यूरल नेटवर्क' नामक AI तकनीक, एल्गोरिदम के जरिए विजुअल इमेजरी का विश्लेषण करके ये पता करती है कि व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है या नहीं है. रिसर्च से जुड़े साइंटिस्ट और एक्सपर्ट्स का दावा है कि एक विस्तृत टेस्टिंग फेज में इस तकनीक ने कोरोना संक्रमण का पता लगाने में 98 फीसदी सटीक रिजल्ट दिया है.

ओमीक्रॉन लहर के बाद जांच बढ़ाने की बेहद जरूरत

इस नई तकनीक को विकसित करने वाली तीन लोगों की टीम के प्रमुख प्रोफेसर रमजान ने कहा कि ये तकनीक उन देशों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी जहां बड़ी संख्या में कोरोना टेस्ट करने के लिए जांच उपकरण उपलब्ध नहीं हैं. यह तकनीक कोरोना का पता लगाने में RT-PCR टेस्ट से तेज काम करती है. उन्होंने कहा कि लंबे समय से, खासतौर पर ओमीक्रॉन फैलने के बाद से कोरोना का जल्द पता लगाने के लिए एक और विश्वसनीय टूल की जरूरत थी. कोरोनावायरस के गंभीर मामलों की जांच करते समय नई तकनीक महत्वपूर्ण और संभावित रूप से जीवन रक्षक साबित हो सकती है. इससे जल्द ही ये तय करने में मदद मिलती है कि किस तरह के इलाज की जरूरत है. इस तरह ये तकनीक कोरोनावायरस को फैलने से रोकने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है.

RT-PCR टेस्ट, रैपिड एंटीजन और जीनोम सिक्वेंसिंग

प्रोफेसर रमजान ने कहा कि नई एक्सरे तकनीक फिलहाल पूरी तरह से RT- PCR टेस्ट की जगह नहीं ले सकती. क्योंकि संक्रमण के शुरुआती चरण में कोरोना के लक्षण एक्स-रे में नजर नहीं आते हैं. RT-PCR टेस्ट में वायरस के जेनेटिक मैटेरियल की पहचान की जाती है. कोरोना संक्रमण पकड़ने में इस टेस्ट को सबसे बेहतरीन माना जाता है. RT-PCR टेस्ट का रिजल्ट आने में 2-3 घंटे का समय लगता है. रैपिड एंटीजन टेस्ट में कोरोनावायरस के सरफेस पर प्रोटीन की पहचान के जरिए संक्रमण का पता लगाया जाता है. इसका रिजल्ट आने में 15-30 मिनट लगता है. एंटीजन टेस्ट रिजल्ट को बहुत सटीक नहीं माना जाता है. यह टेस्ट कई बार पॉजिटिव व्यक्ति को भी निगेटिव बता देता है. RT-PCR और एंटीजन दोनों ही तरह के टेस्ट ज्यादातर केवल यह बताते हैं कि व्यक्ति पॉजिटिव है या निगेटिव. ये टेस्ट कोरोना वेरिएंट नहीं पकड़ पाते. वेरिएंट की पहचान के लिए सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग ही एकमात्र उपाय है.

भारत समेत कई देशों को मिलेगी कोरोना से जंग में मदद

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बगैर लक्षणों वाले लोगों की कोरोना जांच की अनिवार्यता खत्म कर दी. एक्सपर्ट ने माना कि इसकी एक वजह ये भी है कि सरकार के पास देश के हर व्यक्ति की टेस्टिंग के लिए संसाधन मौजूद नहीं हैं. भारत ही नहीं अमेरिका ने भी हाल ही में होम आइसोलेशन पीरियड खत्म होने के लिए दोबारा टेस्टिंग की अनिवार्यता खत्म कर दी थी. कई विशेषज्ञों ने वहां भी टेस्टिंग की पर्याप्त उपलब्धता न होने से जोड़कर इस फैसले को देखा था. ऐसे हालात में भारत और अमेरिका समेत कई अफ्रीकी और बाकी दुनिया के गरीब देशों में कोरोना जांच के लिए AI आधारित एक्स-रे तकनीक बहुत काम आ सकती है.

ये भी पढ़ें - Omicron वेरिएंट बीते सात सप्ताह के अंदर कम्युनिटी ट्रांसमिशन पर कैसे पहुंचा? जानिए वजह 

पिछले साल DRDO ने भी डेवलप की थी X-ray तकनीक

मई 2021 में देश में कोरोना जांच के लिए AI आधारित तकनीक विकसित किए जाने की घोषणा हुई थी. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने ATMAN AI नामक एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर विकसित किए जाने का ऐलान किया था. यह तकनीक भी चेस्ट एक्स-रे के जरिए कोरोना की जांच करने वाली AI आधारित तकनीक है. ATMAN AI ट्रायल के दौरान 96.73 फीसदी सटीक पाई गई थी. DRDO ने कहा था कि इससे देश में कोरोना जांच तेजी से करने में मदद मिलेगी. इस सॉफ्टवेयर को DRDO के सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (CAIR) ने विकसित किया था.वहीं एचसीची सेंटर फॉर एकेडमिक्स एंड रिसर्च, बेंगलुरु और Ankh लाइफ केयर, बेंगलुरु के डॉक्टरों ने इसे टेस्ट और वैलिडेट किया था. इस तकनीक के आने के बावजूद कोरोना जांच के लिए देश अब भी RT-PCR और एंटीजन टेस्ट पर ही निर्भर है.

HIGHLIGHTS

  • बीते साल DRDO ने ATMAN AI एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर विकसित किया था
  • नई एक्सरे तकनीक फिलहाल पूरी तरह से RT- PCR टेस्ट की जगह नहीं ले सकती
  • दुनिया के कई देशों में कोरोना से मुकाबले के लिए अभी भी RT-PCR टेस्ट की कमी
covid-19 coronavirus कोरोनावायरस कोविड-19 Scotland ओमीक्रॉन Pandemic rt pcr test महामारी Omiron AI Based X Rays Rapid Antigen test
Advertisment
Advertisment
Advertisment