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Solar mission: इसरो का आदित्य एल1 होगा लॉन्च , जानें इस मिशन से क्या होगा फायदा

Aditya L1 Launching: इसरो देश के पहले सोलर मिशन आदित्य को लॉन्च करने जा रहा है. इस मिशन से क्या होगा फायदा जानें.

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Vikash Gupta
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Aditya L1 Launching

Aditya L1 Launching( Photo Credit : News Nation)

Aditya L1 Launching: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO)आज 2 सितंबर की सुबह 11.50 बजे अपने पहले सुर्य मिशन की लॉन्चिंग करेगा. इसरो का आदित्य एल1 (Aditya L1) आज सूरज से बात करने के लिए तैयार है. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद एक बार फिर सूरज के लिए मिशन तैयार हो गया है. इसके सफल लॉन्चिंग के लिए सारी तैयारियां कर ली गई है. मिशन की लॉन्चिंग से पहले इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि ये मिशन सूरज पर होने वाले गतिविधियों को रिकॉर्ड करेगा. 

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अभी तक धरती से सूरज पर नजर

आदित्य एल1 सूरज में होने वाले हलचल को रिकॉर्ड करेगा. इसरो के अनुसार आदित्य एल 1 को सूरज के इस प्वॉन्ट तक पहुंचने 125 दिन लेगेंगे. ये सैटेलाइट धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित रहेगा.  ये सूरज और धरती के कुल दूरी का मात्र 1 प्रतिशत है. किसी भी प्लानेट के ऑरबिट के चारों ओर पांच लेयर होते हैं जो गुरुत्वाकर्षण बल के हिसाब से स्थिर लोकेशन बनता है. इन्हीं लेयर में विभिन्न प्रकार की सैटेलाइट होती है. सूरज में भी पांच लेयर है जो एल1, एल2, एल3, एल4, और एल5. आदित्य एल1 सूरज के पहले लेयर एल1 में रहेगा. ये लेयर धरती से सबसे नजदीक है. इस लेयर पर सैटालाइट होने की वजह से सूरज को स्टडी करना आसान हो जाएगा. इस पॉइंट से सूरज पर होने वाले सभी गतिविधियों पर नजर रखा जा सकेगा और सैटेलाइट को कोई नुकसान नहीं होगा. इसरो अभी तक धरती के दूरबीन से सूरज पर नजर रखते थे. लेकिन अब भारत स्पेस में जाकर स्टडी करेगा. 

क्या करेगा आदित्य एल1

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सूरज का बाहरी वातावरण को बेहद गर्म होता है. इस वातावरण को कोरोना कहा जाता है. इस मिशन के जरिए इसरो ये जानने की कोशिश करेगा की कोरोना गर्म क्यों होता है और इसके पीछे की वजह क्या है. इस सैटेलाइट में एक टेलिस्कोप VELC लगा हुआ है सूरज के बाहरी वातावरण पर 24 घंटे नजर बनाए रखेगा, ये एक दिन में सूरज के 1440 फोटो लेगा और जानकारी इसरो से शेयर करेगा. 

क्या होगा फायदा

आदित्य एल1 में सात उपकरण लगे हुए है. इसमें चार सूरज की स्टडी करेगा वहीं बाकी तीन उपकरण एल1 पॉइंट पर रहेगा और सूरज के तापमान को रिकॉर्ड करेगा. दरअसल सूरज बहुत ही गर्म है और ये गर्म गैस का गोला है. इसकी लपटें अगर धरती से मिल जाए तो इसके ताप से धरती की स्थिति बिगड़ी सकती है और सब कुछ खत्म हो जएगा. वहीं कई कम्युनिकेशन सैटेलाइट जल सकती है. इस मिशन के जरिए सूरज के स्टडी करने से इन सबकों बचाया जा सकता है.

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अब तक सूरज पर 22 मिशन

अब तक सूरज तक पहुंचने के लिए कुल 22 मिशन भेजे गए हैं. इस मिशन में अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी ही सफल हो चूकी है. सबसे ज्यादा मिशन 14 बार अमेरिका भी भेज चुका है. नासा ने सबसे पहले 1994 में सैटेलाइट भेजा था. 

Source : News Nation Bureau

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