रविवार को अगर आपका डिश टीवी अचानक बंद हो जाए या मोबाइल का नेटवर्क चला जाए तो घबराइएगा नहीं. इसकी वजह बन सकता है एक भीषण सौर तूफान. जुलाई के शुरुआती दिनों में सूरज (Sun) की सतह से पैदा हुआ यह शक्तिशाली सौर तूफान 16,09,344 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी (Earth) की तरफ बढ़ रहा है. इस सौर तूफान के रविवार या हद से हद सोमवार को किसी समय पृथ्वी से टकराने की संभावना बताई जा रही है. सौर तूफान (Solar Storm) को लेकर वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इसकी वजह से सैटेलाइट सिग्नलों में बाधा आ सकती है. साथ ही विमानों की उड़ान, रेडियो सिग्नल, कम्यूनिकेशन और मौसम पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है.
ध्रुव नहा उठेंगे चमकीली रोशनी से
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अनुमान है कि ये हवाएं 16,09,344 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रही हैं. उन्होंने यह भी बताया कि हो सकता है कि इसकी गति और भी ज्यादा हो. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अंतरिक्ष से महातूफान फिर आता है तो धरती के लगभगर हर शहर से बिजली गुल हो सकती है. इसके अलावा स्पेसवेदर डॉट कॉम वेबसाइट के मुताबिक सूरज के वायुमंडल से पैदा हुए इस सौर तूफान के कारण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के प्रभुत्व वाले अंतरिक्ष का एक क्षेत्र में काफी प्रभाव देखने को मिल सकता है. उत्तरी या दक्षिणी अक्षांशों पर रहने वाले लोग रात में सुंदर आरोरा देखने की उम्मीद कर सकते हैं. ध्रुवों के नजदीक आसमान में रात के समय दिखने वाली चमकीली रोशनी को आरोरा कहते हैं.
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पृथ्वी पर पड़ेगा यह असर
सौर तूफान से धरती का बाहरी वायुमंडल गर्म हो सकता है जिसका सीधा असर सैटलाइट्स पर पड़ेगा. इससे जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है. पावर लाइंस में करंट तेज हो सकता है जिससे ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं. हालांकि आमतौर पर ऐसा कम ही होता है क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इसके खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अंतरिक्ष से महातूफान फिर आता है तो धरती के लगभगर हर शहर से बिजली गुल हो सकती है. इससे पहले वर्ष 1989 में आए सौर तूफान की वजह से कनाडा के क्यूबेक शहर में 12 घंटे के के लिए बिजली गुल हो गई थी और लाखों लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा था.
1857 में आए सौर तूफान ने तबाह कर दिया टेलीग्राफ नेटवर्क
इसी तरह से 1859 में आए चर्चित सबसे शक्तिशाली जिओमैग्नेटिक तूफान ने यूरोप और अमेरिका में टेलीग्राफ नेटवर्क को तबाह कर दिया था. इस दौरान कुछ ऑपरेटर्स ने बताया कि उन्हें इलेक्ट्रिक का झटका लगा, जबकि कुछ अन्य ने बताया कि वे बिना बैट्री के अपने उपकरणों का इस्तेमाल कर ले रहे हैं. नॉर्दन लाइट्स इतनी तेज थी कि पूरे पश्चिमोत्तर अमेरिका में रात के समय लोग अखबार पढ़ने में सक्षम हो गए थे. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि वर्तमान समय में दुनिया बहुत ज्यादा कंप्यूटर और ऑटोमेशन पर निर्भर हो गई है, ऐसे में पिछले तूफान के मुकाबले इस बार सौर तूफान से परिणाम ज्यादा भयावह हो सकता है. सौर तूफान आने पर हमारे अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे सैटलाइट प्रभावित हो सकते हैं और इससे हमारी संचार और जीपीएस प्रणाली ठप पड़ सकती है.
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1582 में लगा था कि दुनिया खत्म हो जाएगी
1582 में आए महातूफान को पूरी दुनिया में देखा गया था और लोगों को ऐसा लगा कि धरती खत्म होने वाली है. उस समय के पुर्तगाल के लेखक पेरे रुइज सोआरेस ने लिखा है, 'उत्तरी आसमान में हर तरफ तीन रातों तक बस आग ही आग दिखाई दे रही थी. आकाश का हर हिस्सा ऐसा लग रहा था जैसे मानो आग की लपटों में तब्दील हो गया हो.' उन्होंने लिखा है, 'मध्यरात्रि को किले के ऊपर एक भयानक आग की किरणें उभरकर सामने आईं जो बहुत भयानक और डरावनी थी. उसके दूसरे दिन भी ठीक उसी समय पर आसमान में यह किरणें फिर से दिखाई दीं लेकिन वह उतना डरावनी नहीं थीं जितनी की पहले दिन थी. शोध में पता चला है कि डरावनी किरणों को दिखने की घटना जापान, जर्मनी, दक्षिण कोरिया और कई अन्य देशों में भी देखी गई थी.
HIGHLIGHTS
- पृथ्वी के हर शहर से हो सकती है बिजली गुल
- मोबाइल, डिश सिग्नल पर पड़ेगा गंभीर असर
- ध्रुवों पर रात में बिखर जाएगी चमकीली रोशनी