बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और सर्च इंजन द्वारा अपने उपभोक्ताओं की निजी जानकारी का दुरुपयोग करने के मुद्दे पर एक बार फिर परेशान होने से पहले आपको यह समझना होगा कि भविष्य में युद्ध भौतिक संपत्तियों पर नहीं बल्कि अरबों लोगों की निजी जानकारी इकट्ठी करने के मुद्दे पर होंगे. अनुमान है कि साल 2025 तक दुनियाभर में प्रतिदिन 463 एक्साबाइट (ईबी) डाटा बनने लगेगा. यह डाटा 22 करोड़ डीवीडी के बराबर है.
डिजिटल दुनिया के 2020 तक 44 जेटाबाइट्स तक पहुंचने की उम्मीद जताई गई है. एक जेटाबाइट में लगभग 1,000 ईबी, 10 लाख टेराबाइट (टीबी) या एक लाख करोड़ जीबी के बराबर डाटा होता है.
अगर हम आज के हिसाब से देखें तो दुनियाभर में प्रतिदिन 50 करोड़ ट्वीट्स किए जाते हैं और 29.4 करोड़ मेल भेजे जाते हैं.
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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की वेबसाइट पर प्रकाशित वेंकूवर की मीडिया साइट विजुअल केपिटलिस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक पर प्रतिदिन चार पेटाबाइट्स (1,000 टीबी) डाटा तैयार हो रहा है, वहीं व्हाट्स एप पर 65 अरब मैसेज भेजे जा रहे हैं और पांच अरब बार सर्च किया जा रहा है.
इतना व्यापक आंकड़ा होने पर प्रौद्योगिकी कंपनियों ने यूजर्स की निजी जानकारी पर अधिक से अधिक कब्जा कर उसका विश्लेषण करने, उसका विवरण निकालने और मार्केटरों जैसे लोगों से साझा करने के लिए हाथ-पैर मार रही हैं. मार्केटर लोग उस प्राप्त जानकारी से विज्ञापनों और प्रचारक सामग्री बनाकर 24 घंटे आपको प्रभावित करते हैं.
इस समय चल रहीं एंटी-ट्रस्ट जांच और निजता संबंधी जांचों के बीच जब ऑनलाइन यूजर्स की बात आती है तो फेसबुक और गूगल जैसी प्रौद्योगिकी कंपनियां इसमें सबसे आगे हैं.
दुनियाभर में 2.41 अरब सक्रिय मासिक यूजर्स के तौर पर फेसबुक सबसे बड़ा सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म है. इसके साथ व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम भी हैं और आप हमारे डिजिटल जीवन में इसके दखल की कल्पना कर सकते हैं.
वर्ल्ड एडवरटाइजिंग रिसर्च सेंटर (डब्ल्यूएआरसी) के अनुसार, वैश्विक ऑनलाइन विज्ञापन बाजार में गूगल और फेसबुक की हिस्सेदारी पिछले साल के 56.4 फीसदी से बढ़कर इस साल 61.4 फीसदी हो जाएगी.
दूसरी तिमाही में फेसबुक का राजस्व 16.62 अरब डॉलर और गूगल का राजस्व 32.6 अरब डॉलर था. मार्केट रिसर्च कंपनी ईमार्केटर के अनुसार, वैश्विक डिजिटल विज्ञापन खर्च के इस साल बढ़कर 333.25 अरब डॉलर होने की संभावना है.
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आज अरबों लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और स्नैपचैट पर अपनी भावनाएं साझा करते हैं, जो विज्ञापनकर्ताओं के लिए भविष्य का बड़ा बाजार है.
सोशल मीडिया कंपनियां इसके अर्थ निकालने कि उनके यूजर्स क्या सोचते हैं, क्या देखते हैं, क्या महसूस करते हैं और कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, और बाद में उसके अनुसार विज्ञापन बनाने में व्यस्त हैं.
Source : आईएनएस