NASA News: NASA ने बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान के संबंध में दी गई जानकारी से पता चलता है कि इस मिशन को लेकर अंतरिक्ष एजेंसी के पास अच्छी खबरें हैं. यान को 5 जून को लॉन्च किया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य था कि यह एक हफ्ते के मिशन के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंचे. लेकिन स्पेसक्राफ्ट में खराबी के कारण उनकी वापसी नहीं हो पाई है. बता दें कि सुनीता विलियम्स अभी भी अंतरिक्ष में हैं और उन पर लगातार खतरा बना हुआ है. वहीं इस घटना के बाद लोग कल्पना चावला के साथ हुए हादसे को याद कर रहें हैं.
अंतरिक्ष में हुए बड़ा हादसा
हालांकि, मिशन के शुरुआती दिनों में स्टारलाइनर को अपने सर्विस मॉड्यूल से हीलियम लीक का सामना करना पड़ा था, जिसके चलते इसे अपनी निर्धारित 45-दिन की समय सीमा से परे कक्षा में रहना पड़ा. इस हादसे के बाद भी , NASA ने बताया कि अंतरिक्ष यान की स्थिति अभी भी अच्छी स्तिथि में है और वह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के साथ सम्बंधित उद्देश्यों को पूरा कर सकता है.
यह कंफर्म करने के लिए कि स्टारलाइनर अपने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर सके, NASA ने उसे ISS पर डॉक कर लिया है. इससे यह साबित होता है कि अंतरिक्ष एजेंसी अपने अंतरिक्ष यानों को लेकर समर्थन और निगरानी लगातार बनाए रखी है.
बुच विल्मोर और सुनी विलियम्स की अंतरिक्ष यात्रा में आये देरी के चलते चिंताएं बनी हुई है. उनके यान का प्रक्षेपण कैनावेरल से सफल रहा, लेकिन डॉकिंग से पहले रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम के 28 थ्रस्टर्स में से पांच फेल रहे. इसके चलते, मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ज्यादा समय की जरूरत पड़ी.
अंतरिक्ष यान की वापसी में देरी
अंतरिक्ष यान की पृथ्वी पर वापसी में लगातार हो रही देरी को लेकर सभी कि चिंताओं को बढ़ा दिया है, क्योंकि इससे चालक दल की सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है. अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा व उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, इस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना अंतरिक्ष मिशनों के लिए सामान्य बात होती है. NASA और समर्थन टीमें अब इससे जुड़ी समस्याओं को हल करने पर काम कर रही हैं ताकि यह मिशन सफलतापूर्वक और सुरक्षित तरिके से पूरा किया जा सके.
अंतरिक्ष में होने वाली चुनौती
अंतरिक्ष में यात्रा के दौरान मानव स्वास्थ्य के लिए के लिए काफी चुनौती होता है, क्योंकि वहां का वातावरण पृथ्वी से काफी अलग होता है. इसमें कुछ मुख्य चुनौतियां शामिल होती हैं,तो चलिए जाते है इससे जुड़ी चुनौतियों के बारे में.
माइक्रोग्रैविटी: अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी होने के चलते शरीर के हर हिस्से में तरल पदार्थ ऊपर की ओर आने लगती है. यह शरीर के मुख्य रक्त पंप, जैसे हृदय, के लिए एक चुनौती होती है.
रेडिएशन: अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा रेडिएशन का खतरा होता है. इसमें लंबे समय तक रहने पर रेडिएशन के नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं, जैसे कि कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं.
माइक्रोमेटोर्स और अंतरिक्ष का कचरा: अंतरिक्ष में छोटे - छोटे टुकड़े (माइक्रोमेटोर्स) होते हैं जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं. अंतरिक्ष स्टेशनों पर लंबे समय तक रहने का प्रभाव उनके सामाजिक और मानसिक स्थिति पर भी होता है.
अंतरिक्ष यात्रियों को हमेशा अपनी सेहत का ध्यान रखना होता है और कई तरह के तकनीकी और नैतिक सहायता की जरूरत होती है. अंतरिक्ष एजेंसियों जैसे कि नासा और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के टीम इन सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए लगातार प्रयास करती रहती हैं.
Source : News Nation Bureau