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लैंडर विक्रम से संपर्क करने के लिए बचे मात्र 11 दिन, अब क्‍या NASA की मदद लेगा ISRO?

नासा का एक मिशन 'लूनर रीकॉनिसेंस ऑर्बिटर (Lunar Reconnaissance Orbiter) चंद्रयान-2 के मुकाबले चांद के ज्यादा करीब चक्कर लगा रहा है, जिससे बेहतर डाटा मिल सकता है.

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Sunil Mishra
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लैंडर विक्रम से संपर्क करने के लिए बचे मात्र 11 दिन, अब क्‍या NASA की मदद लेगा ISRO?

लैंडर विक्रम से संपर्क करने के लिए क्‍या NASA की मदद लेगा ISRO?

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मिशन चंद्रयान 2 (Chandrayaan-2) के लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की कोशिशें अभी जारी हैं. इसरो (ISRO) का कहना है कि चांद की सतह पर विक्रम की तिरछी हार्ड लैंडिंग हुई. फिर भी वह सही सलामत है. विक्रम से दोबारा संपर्क बनाने के लिए इसरो के पास केवल 11 दिन बचे हैं. मीडिया रिपार्ट के अनुसार, इसरो विक्रम से संपर्क करने के लिए नासा (NASA) से भी संपर्क करने पर विचार कर रहा है. नासा का एक मिशन 'लूनर रीकॉनिसेंस ऑर्बिटर (Lunar Reconnaissance Orbiter) चंद्रयान-2 के मुकाबले चांद के ज्यादा करीब चक्कर लगा रहा है, जिससे बेहतर डाटा मिल सकता है.

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बताया यह भी जा रहा है कि नासा के लूनर रीकॉनिसेंस ऑर्बिटर से चांद की 3डी तस्वीरें ली गई हैं. अगर इसरो नासा के इस ऑर्बिटर के डेटा का इस्तेमाल करती है, तो विक्रम की ताजा पोजिशन का पता चल सकता है. इसके पहले भी LRO के डेटा का आंशिक रूप से इसरो कर चुका है. इसरो फिलहाल ऑर्बिटर से बेहतर डेटा मिलने का इंतजार कर रही है, इसके बाद ही कोई फैसला लिया जा सकता है.

अभी चांद पर लूनर डे चल रहा है. यह पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है. इनमें से 3 दिन खत्म हो चुके हैं. लूनर डे के बाद चांद पर रात हो जाएगी. इसरो को किसी भी ऑपरेशन में दिक्कत आएगी. ऐसे में इसरो को जल्द से जल्द विक्रम का ग्राउंड स्टेशन से कनेक्ट करना बेहद जरूरी है. नहीं तो 'मिशन चंद्रयान' अधूरा रह सकता है.

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इसरो के एक वैज्ञानिक ने बताया था, 'शनिवार को हमें लैंडर विक्रम की लोकेशन पता चली थी. ऑर्बिटर ने इसकी पहली तस्वीर भेजी. तस्वीर में विक्रम अपने पैरों (थ्रस्टर्स) पर खड़ा दिख रहा है, लेकिन ये एक तरफ झुका हुआ है. ऐसे में लैंडर से दोबारा संपर्क साधने सकने की बहुत कम उम्मीद है. हम कोशिश कर रहे हैं. ऑर्बिटर जब-जब उपर से होकर गुजर रहा है, हम लैंडर से संपर्क करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं.

Source : न्‍यूज स्‍टेट ब्‍यूरो

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