लैंडर विक्रम को मिले झटके के बावजूद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रमा की ओर बढ़ने के प्रयास पर पूरी दुनिया ने गर्व जताया है. कई देशों के प्रमुखों ने ISRO के प्रयासों को सराहा है. हालांकि विक्रम लैंडर को इसरो ने 2 दिन के अंदर ही खोज लिया. न्यूज एजेंसी एएनआई से इसरो प्रमुख के. सिवन ने बताया कि हमें विक्रम लैंडर के बारे में पता चला है, वह चांद की सतह पर देखा गया है. ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल पिक्चर ली है. लेकिन अभी तक कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है. हम संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं. सिवन के इस बयान के बाद करोड़ों भारतीयों की उम्मीदें भी अब चांद पर पहुंच गईं हैं.
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इससे पहले अमरीका, रूस और चीन ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैन्डिंग करवाई थी, लेकिन दक्षिण ध्रुव पर नहीं. कहा जा रहा है कि दक्षिण ध्रुव पर जाना बहुत जटिल था इसलिए भी भारत का मून मिशन चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर रह गया.चंद्रयान-2 जब चंद्रमा की सतह पर उतरने ही वाला था कि लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया. लेकिन अब उम्मीदें एक बार फिर से जवां हो गई हैं.
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सूत्र बताते हैं कि लैंडर विक्रम (Lander Vikram) चंद्रमा की सतह पर 180 डिग्री तक गिर गया है, इसका मतलब है कि सतह पर केवल दो पैर छू रहे हैं, ऑर्बिटर ने लैंडर विक्रम (Lander Vikram) की तस्वीरें क्लिक की हैं, जिनका विश्लेषण किया जा रहा है लेकिन कोई संचार स्थापित नहीं किया गया है. विक्रम लैंडर लैंडिंग वाली तय जगह से 500 मीटर दूर पड़ा है. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा ने विक्रम लैंडर की तस्वीर ली है.
दुनिया ने की इसरो की तारीफ़
विक्रम लैंडर से शुक्रवार की रात संपर्क टूटने के बाद करोड़ों भारतीय निराश हो गए थे. खुद इसरो चीफ के. सिवन की आंखें उस वक्त छलक आईं जब वो पीएम नरेंद्र मोदी को छोड़ने जा रहे थे. पीएम मोदी ने उन्हें गले लगाकर सांत्वना दी.लेकिन उन लोगों के नासा का एक ट्वीट करारा तमाचा है जो कह रहे हैं इंडिया फेल हो गया. शनिवार को नासा ने ट्वीट कर कहा, 'अंतरिक्ष शोध का एक मुश्किल क्षेत्र है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-2 मिशन की लैंडिंग कराने के इसरो के प्रयास की हम तारीफ करते हैं. आपने हमें अपनी यात्रा से प्रेरित किया है और उम्मीद करते हैं कि भविष्य में हमें सौरमंडल पर मिलकर काम करने का मौका मिलेगा.'
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री जैरी लिनेंजर ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा, “हमें बहुत ज्यादा निराश नहीं होना चाहिए. भारत कुछ बहुत... बहुत ही कठिन करने की कोशिश कर रहा था. वास्तव में लैंडर के नीचे आने तक सब कुछ योजना के मुताबिक चल रहा था.” लिनेंगर के मुताबिक दुर्भाग्य से लैंडर होवर प्वाइंट तक भी नहीं पहुंच सका, जो कि चांद की सतह से करीब 400 मीटर की ऊंचाई पर है. उन्होंने कहा, अगर वो उस प्वाइंट पर भी पहुंच जाता और उसके बाद अगर सफल नहीं भी होता तो भी ये काफी मददगार होता. क्योंकि तब रडार के एल्टिमीटर (ऊंचाई मापने का एक यंत्र) और लेजरों का परीक्षण किया जा सकता था.
पूरी दुनिया ने की इसरो की तारीफ
- यूनाइटेड अरब अमीरात की स्पेस एजेंसी ने ट्वीट कर कहा, चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम, जिसे चांद पर लैंड करना था, से संपर्क टूटने के बाद हम इसरो को अपने पूरे सहयोग का आश्वासन देते हैं. भारत ने खुद को स्पेस सेक्टर की अहम ताकत साबित किया है और इसके विकास एवं उपलब्धि में भागीदार है.'
- ऑस्ट्रेलियाई स्पेस एजेंसी ने ट्वीट किया, 'लैंडर विक्रम, चंद्रमा पर अपने मिशन को साकार करने में कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर था. इसरो हम आपके प्रयासों और अंतरिक्ष में यात्रा जारी रखने की आपकी प्रतिबद्धता की सराहना करते हैं.'
- नासा स्पेसफ्लाईट के लिए लिखने वाले क्रिस जी-एनएसएफ ने कहा, 'अगर विक्रम सतह पर उतरने में विफल हुआ है, जैसा कि लगता है, तो याद रखें कि वहां ऑर्बिटर अभी है, जहां से 95 प्रतिशत प्रयोग हो रहे हैं. ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्ष में सुरक्षित है और अपने मिशन को पूरा कर रहा है. यह पूरी तरह से असफलता नहीं है. बिल्कुल भी नहीं.'
- एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के स्पेस टेक्नॉलजी ऐंड साइंस इनिशटिव में रिसर्च डायरेक्टर और साइंस इनिशटिव और मार्स ऑपर्च्यूनिटी रोवर टीम की सदस्य डॉ. तान्या हैरिसन ने कहा, 'मिशन कंट्रोल में बहुत सारी महिलाओं को देखकर बहुत अच्छा लगा!'
इन देशों के नेताओं की प्रक्रिया
मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद्र जगन्नाथ ने कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी धुव्र पर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के उतारने के प्रयास के लिए भारत सरकार और इसरो की टीम को बधाई देता हूं. हालांकि इस बार यह सफल लैंडिंग नहीं थी, लेकिन दुनिया इंडियन स्पेशल प्रोग्राम की प्रमुख तकनीक से प्रेरणा लेगी. भविष्य में मॉरिशस, इसरो की टीम के साथ सहयोगी प्रयासों के लिए तत्पर है.
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भूटान के प्रधानमंत्री लोतेय शेरिंग ने कहा कि उन्हें पूरा यकीन है कि इसरो भविष्य में अपने अंतरिक्ष मिशन को जरूर पूरा कर लेगा. शेरिंग ने ट्वीट कर कहा, 'आज हम सभी को भारत और उसके वैज्ञानिकों पर गर्व है. चंद्रयान-2 ने अपने आखिरी मिनटों में कुछ चुनौतियों का सामना किया, लेकिन आपका साहस और कड़ी मेहनत ऐतिहासिक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जानने के बाद, मुझे कोई शक नहीं है कि वह और उनकी इसरो टीम एक दिन इसे जरूर कर दिखाएंगे.'
विदेशी मीडिया ने सिर आंखों पर बैठाया
- अमेरिकी पत्रिका ‘वायर्ड’ ने कहा कि चंद्रयान-2 कार्यक्रम भारत का अब तक का ‘सबसे महत्त्वकांक्षी’ अंतरिक्ष मिशन था. चंद्रमा की सतह तक ले जाए जा रहे विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से संपर्क टूटना भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ा झटका होगा लेकिन मिशन के लिए सबकुछ खत्म नहीं हुआ है.
- बीबीसी ने लिखा कि मिशन को दुनिया भर की सुर्खियां मिलीं क्योंकि इसकी लागत बहुत कम थी. चंद्रयान-2 में करीब 14.1 करोड़ डॉलर की लागत आई है. इसके 2014 के मंगल मिशन की लागत 7.4 करोड़ डॉलर थी जो अमेरिकी मेवन ऑर्बिटर से लगभग 10 गुणा कम थी.
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- वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी हैडलाइन “इंडियाज फर्स्ट अटेंप्ट टू लैंड ऑन द मून अपीयर्स टू हैव फेल्ड” में कहा कि यह मिशन “अत्याधिक राष्ट्रीय गौरव’’ का स्रोत है.
- फ्रेंच दैनिक ल मोंद ने अपनी खबर में लिखा, “अब तक जैसा कि वैज्ञानिक बताते हैं ऐसे उद्देश्य वाले केवल 45 प्रतिशत मिशनों को ही सफलता मिली है
- न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर में कहा गया, “भले ही भारत पहले प्रयास में लैंडिंग नहीं करा पाया हो, उसके प्रयास दिखाते हैं कि कैसे उसकी इंजीनियरिंग शूरता और अंतरिक्ष विकास कार्यक्रमों पर की गई दशकों की उसकी मेहनत उसकी वैश्विक आकांक्षाओं से जुड़ गई है.”
- ब्रिटिश समाचारपत्र ‘द गार्डियन’ ने अपने लेख “इंडियाज मून लैंडिंग सफर्स लास्ट मिनट कम्यूनिकेशन लॉस” में मैथ्यू वीस के हवाले से कहा, “भारत वहां जा रहा है जहां अगले 20, 50, 100 सालों में संभवत: मनुष्य का भावी निवास होगा.”
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो